Read Full Story
गंगा नदी के किनारे बसे हरे-भरे जंगल में मोती मोर और चिंटू चीता की गहरी दोस्ती थी। मोती अपने रंग-बिरंगे पंखों और नृत्य के लिए प्रसिद्ध था, जबकि चिंटू अपनी तेज़ रफ़्तार के लिए जाना जाता था।
Read Full Story
एक दिन जंगल में मेला लगा, जहाँ मोती के नृत्य और चिंटू की दौड़ की प्रशंसा हुई। इस प्रशंसा ने दोनों के बीच जलन की भावना पैदा कर दी, जिससे उनकी दोस्ती में दरार आ गई।
Read Full Story
मोती ने जलन में एक नृत्य प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमें चिंटू की हार हुई और उसे सबके सामने शर्मिंदा होना पड़ा। इसके बाद दोनों के बीच दौड़ की शर्त लगी, जिसमें चिंटू ने मोती को हरा दिया।
Read Full Story
जलन और प्रतिस्पर्धा के चलते दोनों ने एक-दूसरे से बात करना बंद कर दिया, जिससे जंगल में अकेलापन छा गया। दोनों को अपनी दोस्ती की कमी महसूस होने लगी।
Read Full Story
एक दिन, शेर के हमले से मोती की जान बचाने के लिए चिंटू ने अपनी तेज़ रफ़्तार का उपयोग किया। इस घटना ने दोनों को अपनी गलतियों का एहसास कराया और वे फिर से दोस्त बन गए।
Read Full Story
मोती और चिंटू ने जलन को अपनी दोस्ती के बीच न आने देने का संकल्प लिया और जंगल में फिर से खुशियाँ लौट आईं।
Read Full Story
उन्होंने मिलकर एक बड़ा मेला आयोजित किया, जहाँ नाच और दौड़ दोनों की प्रतियोगिताएँ हुईं और दोनों ने एक-दूसरे की खूबियों की तारीफ़ की।
Read Full Story
इस कहानी से बच्चों को यह सीख मिलती है कि जलन से दोस्ती टूट सकती है और अकेलापन महसूस होता है। हमें अपने दोस्तों की खूबियों की तारीफ करनी चाहिए और जलन से बचना चाहिए।
Read Full Story
बच्चों, जलन करना गलत है। इससे हमारी दोस्ती टूट सकती है और हमें अकेलापन महसूस होता है। हमें अपने दोस्तों की खूबियों की तारीफ़ करनी चाहिए, न कि उनसे जलना चाहिए। जलन हमें गलत रास्ते पर ले जाती है, लेकिन जब हमें अपनी गलती का पछतावा होता है, तो हम अपनी दोस्ती को फिर से मज़बूत बना सकते हैं।
Read Full Story