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कहानी "सेठ और पाजामा" हास्य के साथ सीख भी देती है, जिसमें एक कंजूस सेठ नया पाजामा सिलवाता है जो चार अंगुल बड़ा होता है।
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सेठ अपनी पत्नी, बहू और बेटी से पाजामा छोटा करने को कहता है, लेकिन सभी व्यस्त होने के कारण अलग-अलग समय पर चार-चार अंगुल काट देती हैं।
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सेठ जब वापस आता है, तो पाता है कि पाजामा बारह अंगुल छोटा होकर बेकार हो चुका है, जिससे उसे गुस्सा आता है।
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कहानी बताती है कि सेठ अपनी कंजूसी के कारण पुराना पाजामा पहनता था और लोगों के कहने पर नया बनवाने का निर्णय लेता है।
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घर में पत्नी, बहू और बेटी सभी अपने-अपने काम में व्यस्त रहती हैं, लेकिन सेठ के कहने पर पाजामा छोटा करने का काम करती हैं।
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पाजामा छोटा करने की प्रक्रिया में संवाद की कमी के कारण हास्यास्पद स्थिति उत्पन्न होती है।
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सेठ के परिवार के सदस्यों की हंसी में बात टाल दी जाती है और सेठ को नया पाजामा सिलवाने का सुझाव दिया जाता है।
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कहानी का नैतिक यह है कि कोई भी काम करने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे कौन करेगा और कैसे करेगा।
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सही संवाद बहुत जरूरी होता है, अन्यथा नतीजे हास्यास्पद हो सकते हैं।
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यह कहानी बच्चों के लिए मनोरंजक है और उन्हें सही संवाद और जिम्मेदारी की सीख देती है।
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