चांदी के सिक्के और मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई

चांदी के सिक्के और मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई

मुल्ला नसरुद्दीन के जीवन में एक समय ऐसा आया जब उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं बचे, जिससे उन्हें भीख मांगने का निर्णय लेना पड़ा।

चांदी के सिक्के और मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई

नसरुद्दीन मुख्य चौक पर जाकर भीख मांगने लगे, जहां उनके दुश्मन उन्हें चिढ़ाने के लिए सोने और चांदी के सिक्के देते थे और उनसे एक चुनने को कहते थे।

चांदी के सिक्के और मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई

नसरुद्दीन हमेशा चांदी का सिक्का ही चुनते, जिससे उनके दुश्मन उन्हें मूर्ख समझते और मजाक उड़ाते।

चांदी के सिक्के और मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई

शहर के कुछ लोग, जो नसरुद्दीन के प्रशंसक थे, उनकी इस हरकत से हैरान थे और एक दिन एक व्यक्ति ने उनसे इस बारे में पूछा।

चांदी के सिक्के और मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई

नसरुद्दीन ने समझाया कि अगर वह सोने का सिक्का चुन लेते, तो दुश्मन उन्हें सिक्के देना बंद कर देते। चांदी का सिक्का चुनकर वह उन्हें हंसने का मौका देते रहे और धीरे-धीरे चांदी के सिक्के जमा कर लिए।

चांदी के सिक्के और मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई

इस चतुराई से नसरुद्दीन ने अपनी स्थिति को बेहतर बना लिया और अब उन्हें खाने-पीने की चिंता नहीं थी।

चांदी के सिक्के और मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई

इस कहानी से सीख मिलती है कि चतुराई और धैर्य से काम लेने पर हमें लंबे समय तक लाभ मिल सकता है।

चांदी के सिक्के और मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई

दिखावे के पीछे भागने के बजाय, अपनी समझ और रणनीति का इस्तेमाल करके समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

चांदी के सिक्के और मुल्ला नसरुद्दीन की चतुराई

सही समय पर सही निर्णय लेने की कला ही असली सफलता की कुंजी है।