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प्राचीन समय में महिलारोप्या नामक राज्य पर राजा अमराशक्ति का शासन था, जो अपनी प्रजा के प्रति न्यायप्रिय और बुद्धिमान शासक थे।
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राजा अमराशक्ति को अपने तीन बेटों—बहुशक्ति, उग्रशक्ति, और अनंतशक्ति की लापरवाही और जीवन के जरूरी कौशल की कमी को लेकर चिंता थी।
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समस्या के समाधान के लिए राजा ने दरबार में मंत्रियों से परामर्श किया, जहां एक बुजुर्ग मंत्री ने आचार्य विष्णु शर्मा से शिक्षा दिलाने का सुझाव दिया।
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आचार्य विष्णु शर्मा ने तीनों राजकुमारों को कहानियों के माध्यम से शिक्षा देने का निर्णय लिया, जिससे वे राजनीति, कूटनीति, साहस और सदाचार सीख सकें।
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पंचतंत्र की कहानियों में जानवरों और पक्षियों के माध्यम से दोस्ती, बुद्धिमानी और नैतिकता की शिक्षा दी गई, जो पांच भागों में विभाजित थीं।
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कुछ प्रमुख कहानियों में "कौवा और सर्प," "शेर और चूहे की दोस्ती," और "मूर्ख सारस" शामिल हैं, जिन्होंने राजकुमारों को गहरी सीख दी।
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इन कहानियों से प्रेरित होकर, तीनों राजकुमार इतने बुद्धिमान बन गए कि वे राज्य प्रबंधन में अपने पिता के सहायक बन गए।
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कहानी का मुख्य संदेश है कि जीवन में ज्ञान प्राप्ति के लिए सही मार्गदर्शन और प्रेरणा की आवश्यकता होती है।
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पंचतंत्र की कहानियां आज भी बच्चों और बड़ों को प्रेरित करती हैं और व्यवहारिक ज्ञान सिखाने का सबसे अच्छा माध्यम हैं।
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