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अननु अपने पिता के साथ अपनी मौसी के घर जा रही थी जब उसने उत्तरी दिल्ली में एक बड़ा कचरे का पहाड़ देखा, जिसे देखकर वह हैरान हो गई।
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अननु के पिता ने बताया कि यह पहाड़ प्राकृतिक नहीं बल्कि कचरे का है, जो दिल्ली के लैंडफिल साइट्स पर कचरे के जमाव के कारण बना है।
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अननु के पिता उसे अपने दोस्त डी पी सिंह से मिलवाते हैं, जो वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी डीएमएसडबल्यूएसएल में उपाध्यक्ष हैं, ताकि वे कचरे के प्रबंधन के बारे में अधिक जानकारी दे सकें।
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डी पी सिंह बताते हैं कि कचरा दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित होता है: सूखा कचरा और गीला कचरा। सूखा कचरा रीसाइक्लिंग के लिए भेजा जाता है, जबकि गीले कचरे से खाद और बिजली बनाई जाती है।
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दिल्ली में लैंडफिल साइट्स अपनी क्षमता से अधिक भर चुकी हैं, जिससे कचरे के पहाड़ बन रहे हैं।
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कचरे का सही प्रबंधन करने के लिए घरेलू स्तर पर गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करना आवश्यक है, जिससे रीसाइक्लिंग और ऊर्जा उत्पादन संभव हो सके।
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डी पी सिंह ने बताया कि सरकार के अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 का पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है।
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अननु ने सीखा कि कचरा बेकार नहीं होता, यदि इसे सही तरीके से प्रबंधित किया जाए तो यह ऊर्जा का स्रोत बन सकता है।
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अननु ने यह निश्चय किया कि वह घर पर गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करके ही कचरा वाहन को देगी।
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इस अनुभव से अननु और उसके पिता दोनों ने कचरे के प्रबंधन के महत्व को समझा और इसे अपने जीवन में लागू करने का संकल्प लिया।
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