Read Full Story
कहानी "हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर" में एक सर्कस के हाथी गजेंद्र और उसके साथी पतली रस्सी से बँधे रहते हैं, लेकिन बचपन से मिले डर के कारण वे उसे तोड़ने की कोशिश नहीं करते।
Read Full Story
सर्कस के मालिक रमेश जी बताते हैं कि बचपन में हाथियों को पतली रस्सी से बाँधा जाता था और वे इसे तोड़ नहीं पाते थे, जिससे उनके मन में यह धारणा बैठ गई कि वे इसे कभी नहीं तोड़ सकते।
Read Full Story
एक नन्हा बच्चा अर्जुन, सर्कस में आता है और जानना चाहता है कि इतने ताकतवर हाथी इतनी पतली रस्सी से क्यों बँधे रहते हैं और उसे तोड़ने की कोशिश क्यों नहीं करते।
Read Full Story
अर्जुन के सवाल और प्रोत्साहन से गजेंद्र अपने डर को तोड़ता है और रस्सी को एक झटके में तोड़कर आजाद हो जाता है, जिससे बाकी हाथी भी प्रेरित होते हैं।
Read Full Story
सर्कस में हाथियों को रस्सी से बाँधने की प्रथा खत्म हो जाती है और वे खुशी-खुशी करतब दिखाने लगते हैं, लेकिन अब वे मानसिक रूप से आजाद होते हैं।
Read Full Story
कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें अपने मन के डर और पुरानी मान्यताओं को तोड़ने की हिम्मत करनी चाहिए और अपनी सीमाओं को परखते रहना चाहिए।
Read Full Story
यह कहानी बच्चों को यह विश्वास दिलाती है कि सच्ची आजादी तब मिलती है जब हम अपने डर को हराते हैं और नई शुरुआत करने की हिम्मत करते हैं।
Read Full Story
गजेंद्र की कहानी जीवन में साहस और आत्मविश्वास की महत्वपूर्णता को दर्शाती है,
Read Full Story
जो किसी भी बंधन को तोड़ने की प्रेरणा देती है।
Read Full Story