हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर

Jun 02, 2025, 11:29 AM

हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर

कहानी "हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर" में एक सर्कस के हाथी गजेंद्र और उसके साथी पतली रस्सी से बँधे रहते हैं, लेकिन बचपन से मिले डर के कारण वे उसे तोड़ने की कोशिश नहीं करते।

हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर

सर्कस के मालिक रमेश जी बताते हैं कि बचपन में हाथियों को पतली रस्सी से बाँधा जाता था और वे इसे तोड़ नहीं पाते थे, जिससे उनके मन में यह धारणा बैठ गई कि वे इसे कभी नहीं तोड़ सकते।

हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर

एक नन्हा बच्चा अर्जुन, सर्कस में आता है और जानना चाहता है कि इतने ताकतवर हाथी इतनी पतली रस्सी से क्यों बँधे रहते हैं और उसे तोड़ने की कोशिश क्यों नहीं करते।

हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर

अर्जुन के सवाल और प्रोत्साहन से गजेंद्र अपने डर को तोड़ता है और रस्सी को एक झटके में तोड़कर आजाद हो जाता है, जिससे बाकी हाथी भी प्रेरित होते हैं।

हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर

सर्कस में हाथियों को रस्सी से बाँधने की प्रथा खत्म हो जाती है और वे खुशी-खुशी करतब दिखाने लगते हैं, लेकिन अब वे मानसिक रूप से आजाद होते हैं।

हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर

कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें अपने मन के डर और पुरानी मान्यताओं को तोड़ने की हिम्मत करनी चाहिए और अपनी सीमाओं को परखते रहना चाहिए।

हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर

यह कहानी बच्चों को यह विश्वास दिलाती है कि सच्ची आजादी तब मिलती है जब हम अपने डर को हराते हैं और नई शुरुआत करने की हिम्मत करते हैं।

हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर

गजेंद्र की कहानी जीवन में साहस और आत्मविश्वास की महत्वपूर्णता को दर्शाती है,

हाथी गजेंद्र की मानसिक जंजीर

जो किसी भी बंधन को तोड़ने की प्रेरणा देती है।