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एक व्यापारी के अस्तबल में एक घोड़ा और एक गधा साथ रहते थे। व्यापारी रोजाना घोड़े पर सवार होकर दुकान जाता, जबकि गधे का उपयोग केवल भारी सामान ढोने के लिए किया जाता था।
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घोड़े को लगता था कि गधे की जिंदगी उससे बेहतर है, क्योंकि गधे को महीने में केवल कुछ ही बार काम करना पड़ता था।
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घोड़े ने गधे से काम बदलने का प्रस्ताव रखा, लेकिन गधे ने उसे बताया कि उसका काम बहुत थकाऊ होता है।
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घोड़े ने गधे को अपनी मदद करने के लिए मनाया और गधे ने बीमार होने का नाटक करने का सुझाव दिया।
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मालिक ने गधे की बीमारी का नाटक देखकर नमक की बोरियां घोड़े पर लाद दीं, जिससे घोड़े को भारी काम का एहसास हुआ।
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घोड़े ने चालाकी से तालाब में नमक बहाकर अपना काम हल्का करने की कोशिश की।
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मालिक ने घोड़े की चालाकी समझ ली और उसे सबक सिखाने के लिए रेत की बोरियां लाद दीं,
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जो पानी में भीगकर और भारी हो गईं।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि कामचोरी और चालाकी का नतीजा हमेशा बुरा होता है।
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