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जंगल में शेर राजा का दरबार लगता था, जहाँ सभी जानवर अपनी समस्याएँ लेकर आते थे। एक दिन राजा ने दरबार में बड़ा उत्सव रखा।
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सभी जानवरों ने मिलकर राजा को खुश करने के लिए अलग-अलग करतब दिखाए। बंदर ने अपने चतुर नाच से सबको हँसा दिया और शेर ने उसे सबसे अच्छे कलाकार का इनाम देने की बात कही।
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ऊँट को बंदर की सफलता से जलन हुई और उसने भी नाचने की कोशिश की, लेकिन उसका नाच अजीब था और वह गिर पड़ा, जिससे दरबार में सब हँसने लगे।
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शेर ने ऊँट को डांटा और कहा कि बिना कला के किसी को कुछ करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
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बंदर ने ऊँट को समझाया कि हर किसी की अपनी खूबियाँ होती हैं और दूसरों की नकल करने से कुछ नहीं मिलता।
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ऊँट ने अपनी गलती का एहसास किया और अपनी ताकत और खूबियों पर ध्यान देने का निर्णय लिया।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें अपनी विशेषताओं को पहचानकर उन्हें निखारना चाहिए और दूसरों की नकल नहीं करनी चाहिए।
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सफलता की कुंजी अपनी ताकत और हुनर को पहचानकर उसे निखारने में है।
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दूसरों की नकल करने से कुछ नहीं मिलता, बल्कि खुद को पहचानना ज़रूरी है।
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