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सीताबाड़ी के जंगल में शेर, चीते, भालू, बंदर, खरगोश, सियार, हिरण और हाथी सभी स्वतंत्रता से रहते थे, लेकिन इंसानों से डरते थे।
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जंगल में हमेशा शोर-गुल रहता था, जो हरिया बंदर को पसंद नहीं था। वह शांति की खोज में था, लेकिन उसे साथी जानवरों का मजाक सहना पड़ता था।
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हरिया ने अपने मित्र मंगू से शांति की खोज में जंगल छोड़ने की बात की, लेकिन मंगू ने उसे अपनी जन्मभूमि को सुधारने की सलाह दी।
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हरिया ने एक दिन जंगल छोड़कर शहर की ओर जाने का निर्णय लिया, जिससे उसके साथी चिंतित हो गए।
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मंगू और अप्पू हाथी ने हरिया की खोज में शहर की ओर रुख किया और उसे जंजीरों में बंधा पाया।
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मंगू ने चालाकी से हरिया को मुक्त किया और अप्पू की मदद से उसे जंगल वापस लाया।
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हरिया ने महसूस किया कि सच्ची शांति अपने घर और समाज में मिलती है, और उसने जंगल में रहकर अपने साथियों को सुधारने का निश्चय किया।
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कहानी की सीख है कि सच्चा सुख और शांति अपनों के बीच ही मिलता है,
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और बदलाव के लिए भागने के बजाय मिल-जुलकर प्रयास करना चाहिए।
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