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रोबिन खरगोश जंगल में मस्ती से उछलता-कूदता घूम रहा था, जो उसकी आदत में शामिल था। उसे छुट्टी के दिन घूमना-फिरना बेहद पसंद था।
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एक दिन, घूमते-घूमते रोबिन जंगल के छोर पर पहुंच गया और एक भेड़िए से लगभग टकरा गया। भेड़िया रोबिन को देखकर उसके मोटे और ताजे मांस के बारे में सोचने लगा।
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रोबिन ने भांप लिया कि भेड़िया उसे खाना चाहता है, इसलिए उसने बच निकलने की तरकीब सोची। उसने भेड़िए से कहा कि वह अपने मोटे भाई से बचने के लिए किसी जानवर की तलाश कर रहा है।
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रोबिन ने भेड़िए को अपने भाई के बारे में झूठी कहानी सुनाई, ताकि भेड़िया उसके भाई को पकड़ने की कोशिश करे और रोबिन को छोड़ दे।
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भेड़िया रोबिन की बातों में आ गया और उसके भाई को पकड़ने के लिए तैयार हो गया। रोबिन ने भेड़िए को एक दलदल की तरफ भेज दिया।
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जैसे ही भेड़िया दलदल में पहुंचा, वह उसमें फंस गया और बाहर निकलने की कोशिश में नाकाम रहा।
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भेड़िया अपनी मूर्खता पर पछताने लगा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
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उसे दलदल में धंसते देख रोबिन खुशी-खुशी अपने घर लौट गया।
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यह कहानी यह सिखाती है कि बुद्धिमानी और चतुराई से किसी भी मुश्किल स्थिति से निकला जा सकता है।
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