Read Full Story
एक शहर में धन्ना नाम का लालची और अमीर सेठ रहता था, जो अपनी विशाल संपत्ति के बावजूद हमेशा अधिक पैसा कमाने के तरीके ढूंढता रहता था।
Read Full Story
धन्ना सेठ ने अपने पुराने सामान, कपड़े और कबाड़ को कबाड़ी वाले को बेचने का निर्णय लिया, लेकिन देवी-देवताओं की मूर्तियों और फोटो फ्रेम को कबाड़ी वाले ने खरीदने से मना कर दिया।
Read Full Story
कबाड़ी वाले ने मूर्तियों को सम्मानपूर्वक उठाकर कहा कि भगवान को खरीदने की उसकी औकात नहीं है, चाहे उसके पास कितना भी धन क्यों ना हो।
Read Full Story
कबाड़ी वाले के इन शब्दों ने सेठ की आंखें खोल दीं और उसे एहसास हुआ कि पैसे की लालसा ने उसे कितना अंधा बना दिया था।
Read Full Story
सेठ को अपने लालच पर पछतावा हुआ और उसने भगवान की मूर्तियों को अपने मंदिर में रख दिया, ईश्वर से माफी मांगी और फिर कभी लालच ना करने की कसम खाई।
Read Full Story
इस घटना के बाद से सेठ का धन और संपत्ति के प्रति दृष्टिकोण बदल गया और उसने गरीबों को दान-पुण्य करना शुरू कर दिया।
Read Full Story
कहानी से यह सीख मिलती है कि लालच इंसान की विवेक और बुद्धि नष्ट कर देती है
Read Full Story
और जीवन में बहुत कुछ ऐसा है जो बेचा और खरीदा नहीं जा सकता।
Read Full Story
कहानी की लेखक सुलेना मजुमदार अरोरा ने इस मार्मिक कहानी के माध्यम से जीवन की महत्वपूर्ण सीख दी है।
Read Full Story