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"मूर्ख बगुला और चालाक केकड़ा" कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी की सलाह लेने से पहले उसके इरादों और परिणामों पर गहराई से विचार करना चाहिए।
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कहानी में एक बगुला समुदाय एक बड़े बरगद के पेड़ पर रहता है, लेकिन उनके लिए खतरा बन जाता है एक खतरनाक काला सर्प, कालिया, जो बगुलों के छोटे बच्चों को खा जाता है।
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बगुलों का दुख बढ़ जाता है जब सफेदू नामक बगुले के दो बच्चे कालिया द्वारा मारे जाते हैं, और वह समाधान की तलाश में नदी किनारे रोता है।
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चालाक केकड़ा, चालू, सफेदू की मदद करने का दिखावा करता है और उसे एक योजना सुझाता है, जिससे बगुले नेवले को कालिया के बिल तक लाने में सफल होते हैं।
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नेवला, नन्हा, कालिया को मार देता है, जिससे बगुले खुश हो जाते हैं, लेकिन जल्द ही नेवला बगुलों को भी मारने लगता है, जिससे पूरा समुदाय खतरे में पड़ जाता है।
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सफेदू अपनी मूर्खता पर पछताता है और महसूस करता है कि चालू ने उसे धोखा दिया था, जिससे उसका पूरा समुदाय खत्म हो गया।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी पर आँख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए और हमेशा सोच-समझकर फैसले लेने चाहिए।
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यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि जल्दबाजी और मूर्खता से बचना चाहिए और अपने हितचिंतकों की पहचान करनी चाहिए।
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चालू की चालाकी और सफेदू की मूर्खता ने बगुलों के पूरे समुदाय को बर्बाद कर दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि चालाक लोगों से सावधान रहना चाहिए।
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कहानी में यह संदेश है कि अपनी और अपने समुदाय की सुरक्षा के लिए सही कदम उठाना आवश्यक है।
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