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यह कहानी सुनहरे हंसों के घमंड और एक बेसहारा चिड़िया की बुद्धिमानी पर आधारित है, जिसमें चिड़िया को नदी किनारे से हंसों ने भगा दिया था।
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सुनहरे हंस राजा के राज्य की नदी के किनारे रहते थे और अपने पंखों की कीमत चुकाकर वहां रहने का अधिकार समझते थे।
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जब एक बेसहारा चिड़िया ने नदी के किनारे रहने की अनुमति मांगी, तो हंसों ने उसका मजाक उड़ाया और उसे वहां से भगा दिया।
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अपमानित चिड़िया ने राजा से शिकायत की, जिसने हंसों को अदालत में बुलाया और उन्हें चेतावनी दी कि नदी किसी की संपत्ति नहीं है।
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राजा ने हंसों को आदेश दिया कि वे नदी छोड़ दें या सजा का सामना करें, जिससे हंस डर गए और वहां से चले गए।
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चिड़िया ने नदी के किनारे अपना नया घर बनाया और दूसरे बेसहारा पक्षियों का स्वागत किया, जिससे वह स्थान एक खुशहाल आश्रय बन गया।
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राजा ने चिड़िया की विनम्रता और दयालुता की सराहना की और वहां एक पार्क बनाने का आदेश दिया, जिसे "शांति वन" कहा जाने लगा।
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कहानी का संदेश है कि घमंड किसी को लाभ नहीं देता और सच्ची शक्ति विनम्रता और दया में होती है।
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यह बच्चों को दूसरों की मदद करने और अहंकार से दूर रहने की शिक्षा देती है।
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