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प्राचीन नगर मथुरा में एक नेकदिल और मेहनती व्यापारी रहता था, जिसकी मृत्यु के बाद उसका पुनर्जन्म एक सुनहरे पंखों वाले पक्षी के रूप में हुआ।
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व्यापारी, अब एक पक्षी के रूप में, अपनी पत्नी और बेटियों की मदद करने के लिए समय-समय पर उन्हें एक सुनहरा पंख देता था, जिसे बेचकर वे अपने घर का खर्च चलाते थे।
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पक्षी की पत्नी लालच में आकर एक दिन उसके सारे सुनहरे पंख एक साथ नोच लेती है, जिससे वे साधारण पंख बन जाते हैं और परिवार की स्थिति फिर से खराब हो जाती है।
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बेटियाँ अपने पिता की सेवा करती हैं और धीरे-धीरे वह स्वस्थ हो जाता है, लेकिन अब उसके पंख साधारण हैं और वह मथुरा छोड़कर चला जाता है।
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इस कहानी के माध्यम से यह सिखाया गया है कि लालच हमेशा नुकसान पहुँचाता है,
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जबकि संतुष्टि और प्यार सच्ची खुशी लाते हैं।
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कहानी जीवन में संतुलन और कृतज्ञता का महत्व दर्शाती है और यह बच्चों और बड़ों दोनों के लिए प्रेरक है।
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नैतिकता यह है कि जो हमारे पास है, उसकी कदर करें और अधिक की लालसा न करें।
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कहानी हमें यह संदेश देती है कि प्यार और दया से ही जीवन में खुशियाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
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