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स्वामी विवेकानंद एक बार रेल यात्रा कर रहे थे और उनके सामने एक अंग्रेज महिला अपने छोटे बच्चे के साथ बैठी थी।
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यात्रा के दौरान, स्वामीजी ने स्टेशन पर कुछ संतरे खरीदे, जिन पर बच्चे की नजर पड़ी और उसकी इच्छा संतरा खाने की हुई।
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स्वामी विवेकानंद ने महिला से अनुमति लेकर बच्चे को संतरा दिया, जिससे वह बहुत खुश हुआ।
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बच्चा संतरा छील ही रहा था कि उसकी मां ने उसे थप्पड़ मार दिया क्योंकि उसने 'थैंक यू' नहीं कहा था।
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स्वामी विवेकानंद ने महिला को समझाया कि शिष्टाचार केवल शब्दों में नहीं बल्कि हृदय की भावना में होना चाहिए।
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उन्होंने बताया कि सच्चा शिष्टाचार वही है जिसमें दूसरों से कुछ पाने की अपेक्षा नहीं होती।
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इस घटना ने महिला को सोचने पर मजबूर कर दिया कि शिष्टाचार की भावना भीतर से प्रकट होनी चाहिए।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि सच्ची विनम्रता और सहृदयता बिना किसी स्वार्थ के होनी चाहिए।
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स्वामी विवेकानंद की इस घटना ने उनके उदार और समझदार व्यक्तित्व को दर्शाया।
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उनकी विचारधारा ने दूसरों को जीवन में नई सीख और समझ के आयाम प्रदान किए।
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