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बनारस के जंगल में दो सुनहरे हिरण राजा, बड हिरण और ब्रांच हिरण, अपने-अपने झुंडों के साथ रहते थे। इनका जीवन तब बदल गया जब राजा ब्रहमदाता ने शिकार के लिए उन्हें राज्य बाग में कैद करवा दिया।
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राजा ब्रहमदाता को शिकार का शौक था, जिससे उसके राज्य के लोग परेशान थे। उन्होंने इस समस्या का हल निकालने के लिए हिरणों को राज्य बाग में कैद कर दिया ताकि राजा वहीं शिकार कर सके।
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हर दिन एक हिरण की बलि दी जाने लगी, जिससे हिरणों के झुंड को बचाने के लिए बड हिरण और ब्रांच हिरण ने एक साजिश की। उन्होंने तय किया कि हर दिन एक हिरण खुद दरबार में जाकर बलिदान देगा।
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एक दिन एक युवा हिरणी, जिसका बच्चा छोटा था, ने अपनी जगह किसी और को भेजने की गुजारिश की। राजा ब्रांच हिरण ने उसकी बात नहीं मानी, लेकिन बड हिरण ने उसकी जगह खुद को बलिदान के लिए पेश किया।
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बड हिरण की निस्वार्थ भावना से प्रभावित होकर राजा ब्रहमदाता ने न केवल हिरणों की बल्कि सभी जानवरों की जान बख्शने का फैसला किया।
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हिरणों की इस कहानी से राजा को अहसास हुआ कि प्यार और त्याग की भावना कितनी महत्वपूर्ण होती है।
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राजा ने हिरणों को जंगल में वापस जाने की अनुमति दे दी, और सभी जानवरों को आज़ाद कर दिया गया।
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इस कहानी का नैतिक संदेश है कि निस्वार्थ त्याग और प्रेम से किसी की भी सोच बदली जा सकती है
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और अन्याय को समाप्त किया जा सकता है।
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