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राम, कृष्ण, और मोहन तीन भाई थे जो एक छोटे गाँव में रहते थे और आर्थिक तंगी के कारण एक फैक्ट्री में काम करते थे।
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भगवान से प्रार्थना करने पर उन्हें सुनहरी नदी में गंगाजल डालकर अमीर बनने का मौका मिला, लेकिन शर्त थी कि वे अकेले-अकेले जाएं और गंगाजल शुद्ध होना चाहिए।
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राम और कृष्ण ने रास्ते में प्यासे जानवरों और लोगों की मदद नहीं की, जिससे उनका गंगाजल अशुद्ध हो गया और वे पत्थर में बदल गए।
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मोहन, जो सबसे छोटा और दयालु था, ने रास्ते में सभी की मदद की और अंत में उसके आँसू गंगाजल से पवित्र साबित हुए।
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भगवान ने मोहन की दया और ईमानदारी को सराहा, जिससे नदी सोने में बदल गई और राम और कृष्ण भी पत्थर से मुक्त हो गए।
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तीनों भाई गाँव लौटकर गरीबों की मदद करने लगे और उन्होंने दया और ईमानदारी का महत्व समझा।
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यह कहानी सिखाती है कि असली धन दया और ईमानदारी में है, और दूसरों की मदद करने से भगवान की कृपा मिलती है।
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भाईयों ने अपनी सीख से प्रभावित होकर व्यवसाय शुरू किया और समाज में खुशी और शांति फैलाई।
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यह प्रेरणादायक कहानी बच्चों को दया, ईमानदारी और नैतिकता का महत्व सिखाती है।
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कहानी का संदेश है कि स्वार्थ छोड़कर दूसरों की मदद करना ही जीवन को सार्थक बनाता है।
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