Read Full Story
कहानी में राजीव की माँ उसके एमबीए परिणाम का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी और उसने उपवास रखकर भगवान से मन्नत मांगी थी कि अगर राजीव अच्छे नंबरों से पास हो जाए तो वह और तीन दिन का उपवास रखेगी।
Read Full Story
राजीव अच्छे नंबरों से परीक्षा पास कर लेता है, लेकिन जब वह माँ को रिज़ल्ट दिखाता है तो मजाक में कहता है कि यह अंग्रेजी में है और माँ इसे पढ़ नहीं सकेगी, जिससे उसकी माँ की आँखों में आंसू आ जाते हैं।
Read Full Story
राजीव के पिता उसे बताते हैं कि उसकी माँ ने कितनी कठिनाइयों का सामना किया और अपने बेटे के लिए कितने त्याग किए, जैसे कि कपड़े सीना, अचार-पापड़ बनाना और अपनी ज़रूरतों को त्यागना।
Read Full Story
माँ ने राजीव की शिक्षा के लिए अपनी खुशियों और आराम को त्याग दिया और हर परिस्थिति में उसके साथ खड़ी रहीं, चाहे वह बीमारी हो या परीक्षा की तैयारी।
Read Full Story
पिता की बातों से राजीव को एहसास होता है कि उसकी माँ ने उसे जीवन के हर पहलू में सिखाया और वही उसकी पहली गुरु हैं।
Read Full Story
राजीव अपनी माँ से माफी मांगता है और समझता है कि माँ का प्रेम और समर्पण किसी भी उच्च शिक्षा या सामाजिक मानदंडों से कहीं ऊपर है।
Read Full Story
Read Full Story
कहानी यह संदेश देती है कि माँ का अपने बच्चे के प्रति निस्वार्थ प्रेम और समर्पण किसी भी उच्च शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण होता है।
Read Full Story
अंत में, माँ अपने बेटे को गले लगाकर माफ कर देती है, यह दर्शाता है कि माँ का प्रेम हमेशा बिना शर्त होता है।
Read Full Story