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एक छोटे से गाँव में सरला नाम की महिला अपने परिवार के लिए रोज़ रोटियाँ बनाती थी और एक अतिरिक्त रोटी किसी भूखे के लिए खिड़की पर रख देती थी।
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एक कुबड़ा आदमी रोज़ उस रोटी को लेने आता और कहता, "जो तुम बुरा करोगे, वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो अच्छा काम तुम करोगे, वह तुम्हारे पास वापस आएगा।"
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सरला को उसकी बातों से चिढ़ होने लगी और एक दिन गुस्से में उसने ज़हर वाली रोटी बनाने की सोची, लेकिन अंत में उसे जला दिया और दूसरी रोटी रख दी।
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बाद में सरला को पता चला कि उसी रोटी ने उसके बेटे की जान बचाई, जो भूखा और कमज़ोर होकर लौटा था।
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बेटे ने बताया कि एक कुबड़ा आदमी उसे रोटी देकर गया था, जिससे उसकी जान बची।
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सरला को एहसास हुआ कि उसके अच्छे कर्म ने उसके बेटे की जान बचाई और रघु के शब्दों का गहरा मतलब था।
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यह कहानी सिखाती है कि हमें हमेशा अच्छे कर्म करते रहना चाहिए, चाहे उसकी तारीफ हो या न हो।
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गुस्से में लिए गए फैसले गलत हो सकते हैं, लेकिन नेकी का रास्ता हमेशा सही होता है।
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कहानी का मुख्य संदेश है कि जो अच्छा काम हम करते हैं, वह किसी न किसी रूप में हमारे पास लौटकर आता है।
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