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"लालची बंदर की कहानी" एक शरारती बंदर चिंटू की कहानी है, जो रोज़ रामू चाचा के घर में उत्पात मचाता है, जिससे परिवार के सदस्य परेशान हैं।
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रामू चाचा का नौकर, छोटू, बंदर को सबक सिखाने के लिए एक चाल सोचता है और घर में एक सुराही में भुने हुए चने रखता है।
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चिंटू बंदर लालच में आकर सुराही में हाथ डालता है और चने पकड़ लेता है, लेकिन सुराही का मुँह पतला होने के कारण उसका हाथ बाहर नहीं निकल पाता।
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बंदर की लालच के कारण वह चने नहीं छोड़ता और फँस जाता है, जिससे छोटू उसे पकड़ने में सफल हो जाता है।
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छोटू ने बंदर को रस्सी से बाँधकर दूर जंगल में छोड़ दिया, जिससे रामू चाचा और उनका परिवार राहत महसूस करता है।
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कहानी का मुख्य संदेश यह है कि लालच बुरी बात है और इससे बचना चाहिए, क्योंकि यह मुसीबत में डाल सकता है।
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बच्चों को यह सीख मिलती है कि हमेशा समझदारी से काम लेना चाहिए और लालच से बचना चाहिए।
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यह कहानी बच्चों के लिए प्रेरक और नैतिक शिक्षा प्रदान करती है,
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जिससे वे जीवन में सही निर्णय लेना सीख सकते हैं।
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