Read Full Story
महाराणा प्रताप मोहन नामक राजा एक गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे, जिसका इलाज राजवैद्य भी नहीं कर पा रहे थे, जिससे पूरे राज्य में चिंता फैल गई।
Read Full Story
राजा को ठीक करने के लिए एक वैद्य ने सुझाव दिया कि एक जीवित युवक का कलेजा चाहिए होगा, जिससे राजा चिंतित हो गए।
Read Full Story
राजा ने घोषणा की कि कलेजा दान करने वाले के परिवार को मुंहमांगी स्वर्ण मुद्राएं दी जाएंगी, पर कोई आगे नहीं आया।
Read Full Story
एक लालची किसान ने अपने लंगड़े बेटे को स्वर्ण मुद्राएं पाने के लिए बलि के लिए प्रस्तुत कर दिया।
Read Full Story
युवक को समारोह में लाया गया और उसकी अंतिम इच्छा पूछी गई, जिस पर उसने मुस्कुराते हुए अपने पिता, राजा और ईश्वर की ओर देखा।
Read Full Story
युवक ने बताया कि वह अपने पिता पर हंसा क्योंकि पिता ने उसे बेच दिया, राजा पर हंसा क्योंकि वह अपनी प्रजा की जान ले रहे थे, और ईश्वर पर हंसा क्योंकि उन्होंने मदद नहीं की।
Read Full Story
राजा युवक की बातों से प्रभावित हुए और उसे गले लगाकर मुक्त कर दिया, और युवक का पिता भी पश्चाताप से भर उठा।
Read Full Story
इस घटना के बाद राजा बिना किसी इलाज के ही ठीक हो गए, जिससे यह सीख मिली कि परोपकार,
Read Full Story
सहनशीलता और मानवता का सबसे बड़ा स्थान है।
Read Full Story