अंतिम चंदन का पेड़ और जीवन का अनमोल संदेश

Apr 07, 2025, 11:18 AM

The last sandalwood tree and the precious message of life

एक बार कौशलपुरी राज्य के राजा राघवेंद्र सिंह जंगल में शिकार करते हुए रास्ता भटक गए और भूख-प्यास से व्याकुल होकर एक वनवासी की झोपड़ी तक पहुंचे, जहां उन्हें शरण मिली।

The last sandalwood tree and the precious message of life

राजा ने वनवासी की उदारता के लिए उसे चंदनपुर के चंदन के बगीचे की भूमि पुरस्कार में दी, जिससे उसका जीवन आराम से कट सके।

The last sandalwood tree and the precious message of life

वनवासी चंदन के पेड़ों की असली कीमत और उपयोगिता नहीं जानता था और उसने उन्हें काटकर कोयला बनाना शुरू कर दिया, जिससे पूरा बगीचा समाप्त हो गया।

The last sandalwood tree and the precious message of life

एक दिन, जब वह चंदन की लकड़ी बाजार में बेचने गया, तो उसकी सुगंध से प्रभावित होकर लोगों ने उसे भारी कीमत चुकाई और उसे चंदन की असली कीमत का पता चला।

The last sandalwood tree and the precious message of life

वनवासी को अपनी मूर्खता पर पछतावा हुआ कि उसने अनमोल चंदन को कोयला बना दिया और बुजुर्ग व्यक्ति ने उसे जीवन के अनमोल गुणों की पहचान न करने की गलती के बारे में बताया।

The last sandalwood tree and the precious message of life

बुजुर्ग ने समझाया कि जैसे वनवासी ने चंदन के मूल्य को नहीं पहचाना, वैसे ही हम भी अपने जीवन के अनमोल गुणों को क्रोध, ईर्ष्या, और लोभ में जलाकर बर्बाद कर देते हैं।

The last sandalwood tree and the precious message of life

वनवासी ने बुजुर्ग की बात मानकर अंतिम चंदन के पेड़ का समझदारी से उपयोग करने का निश्चय किया और जीवन के इस संदेश को याद रखने का प्रण लिया।

The last sandalwood tree and the precious message of life

वहाँ खड़े अन्य लोगों ने भी मन ही मन यह निश्चय किया कि वे अपने जीवन में नकारात्मक भावनाओं को छोड़कर भलाई और सकारात्मकता में लगाएँगे।

The last sandalwood tree and the precious message of life

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें अपने जीवन के अनमोल गुणों और अवसरों को पहचानकर क्रोध, ईर्ष्या, और लोभ जैसी भावनाओं को त्यागना चाहिए, ताकि हमारा जीवन सुंदर और उपयोगी बन सके।