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यह कहानी एक समझदार भालू, बलराम, की है, जो हिमालय के घने जंगलों में रहता था और अपनी बुद्धि और चतुराई से मुसीबतों का सामना करता था।
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एक दिन शिकारी जंगल में आए, जिनके पास जाल और बंदूकें थीं, जिससे जानवरों में भय फैल गया। बलराम ने अपने दोस्तों, चंचल चिड़िया और हरी हिरण, के साथ मिलकर एक योजना बनाई।
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बलराम ने जंगल की हर छोटी-बड़ी चीज़ को ध्यान से देखा और एक गहरी खाई के पास झुके पुराने पेड़ का फायदा उठाने की योजना बनाई।
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चंचल ने शिकारी को भ्रमित करने के लिए उनके सिर के ऊपर चक्कर लगाए, जबकि हरी ने उन्हें खाई की ओर खींच लिया।
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बलराम ने पुराने पेड़ को धक्का देकर खाई पर गिरा दिया, जिससे एक प्राकृतिक पुल बन गया और शिकारी उनके पास नहीं पहुँच सके।
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शिकारी खाली हाथ लौट गए, और जानवरों ने बलराम की चतुराई की सराहना की, यह समझते हुए कि कठिनाइयों पर विजय पाने के लिए दिमाग और एकता की आवश्यकता होती है।
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कहानी से यह सीख मिलती है कि बुद्धि और एकता से हर समस्या का समाधान किया जा सकता है, और मुश्किल समय में घबराने के बजाय दिमाग से काम लेना चाहिए।
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बलराम की कहानी बच्चों के लिए रोमांचक और प्रेरणादायक है,
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जो उन्हें सिखाती है कि समस्या का समाधान साहस और बुद्धिमत्ता से किया जा सकता है।
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