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जंगल में ठंड का मौसम अपने चरम पर था, जिससे कई जानवरों की मृत्यु हो गई थी और काँटेदार चूहों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।
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बूढ़े चूहे चिंटू ने अपने साथियों को गर्मी से बचने के लिए एकता की ताकत का उपयोग करने का सुझाव दिया और सबको एक साथ रहने की सलाह दी।
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सभी चूहे गोल घेरा बनाकर पास-पास बैठ गए, लेकिन उनके काँटेदार फर एक-दूसरे को चुभने लगे, जिससे वे परेशान हो गए और अलग होने लगे।
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अलग होते ही ठंडी हवा ने उन्हें फिर से ठिठुरा दिया, और कई चूहे ठंड से मरने लगे, जिससे उन्हें एक साथ रहने का महत्व समझ आया।
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मिंटू और पिंटू ने महसूस किया कि छोटी-मोटी चोटें सहना बेहतर है और वे एक-दूसरे की गर्मी से बच सकते हैं।
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इस बार चूहों ने एक-दूसरे के काँटों को सहना सीख लिया और आपस में बातें करके दर्द को भूलने लगे।
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उन्होंने ठंड को पराजित कर दिया और एकता की ताकत का अनुभव किया, जिससे सर्दी कम होने पर खुशी-खुशी जंगल में रहने लगे।
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कहानी यह संदेश देती है कि सच्ची दोस्ती और एकता तब बनती है जब हम एक-दूसरे की कमजोरियों को स्वीकार करते हैं
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और एक साथ मिलकर बड़ी मुश्किलों का सामना करते हैं।
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