साधु की बुद्धिमानी: एक राजा की सीख (The Wisdom of the Sage: A King’s Lesson)

Jun 14, 2025, 04:18 PM

साधु की बुद्धिमानी

"साधु की बुद्धिमानी" कहानी में एक चतुर साधु राजा प्रताप सिंह से मिलकर अपने आप को उनका भाई बताते हैं, जो राजा को चौंका देता है।

साधु की बुद्धिमानी

साधु अपनी जर्जर हालत की पहेली बुनते हैं, जिसमें उनका पुराना महल उनके बूढ़े शरीर का प्रतीक है, और 32 नौकर उनके दाँतों के लिए है।

साधु की बुद्धिमानी

राजा प्रताप सिंह साधु की पहेली को समझ जाते हैं और उनकी बुद्धिमानी से प्रभावित होकर उन्हें 10 सोने के सिक्के देते हैं।

साधु की बुद्धिमानी

मंत्रियों को साधु की बातों पर संदेह होता है, लेकिन राजा समझाते हैं कि भाग्य के दो पहलू होते हैं: राजा और रंक, इसलिए साधु को उन्होंने भाई माना।

साधु की बुद्धिमानी

राजा बताते हैं कि साधु का पुराना महल उनके शरीर का और 32 नौकरों का मतलब उनके दाँतों से था, जो बुढ़ापे में गिर गए।

साधु की बुद्धिमानी

राजा के अनुसार, साधु ने 10 सिक्कों को कम इसलिए कहा क्योंकि वो राजा की कंजूसी का एहसास दिलाना चाहते थे।

साधु की बुद्धिमानी

साधु की चतुराई से प्रभावित होकर राजा ने उन्हें अपने दरबार में सलाहकार नियुक्त करने का निर्णय लिया।

साधु की बुद्धिमानी

कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी की बुद्धिमानी का अंदाजा उसके कपड़ों या रूप से नहीं लगाया जा सकता, असली धन बुद्धि होती है।

साधु की बुद्धिमानी

राजा साधु की बुद्धिमानी से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें अपने दरबार में स्वागत कर सलाहकार बना लिया।

साधु की बुद्धिमानी

यह कहानी बच्चों को समझदारी और बुद्धिमानी की महत्ता का संदेश देती है।