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थॉमस एडिसन एक जिज्ञासु बच्चा था, जो स्कूल में अपने अध्यापकों से अनोखे सवाल पूछा करता था, जिससे उसके शिक्षक परेशान हो जाते थे।
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एक दिन, उसके शिक्षक ने उसे एक पत्र दिया और कहा कि वह इसे अपनी माँ को दे और स्कूल आना बंद कर दे।
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थॉमस की माँ ने पत्र पढ़कर उसे बताया कि उसमें लिखा है कि थॉमस बहुत बुद्धिमान है और स्कूल के शिक्षक उसे पढ़ाने में सक्षम नहीं हैं।
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थॉमस की माँ ने उसे घर पर शिक्षित करना शुरू किया, जिससे उसकी जिज्ञासा को बढ़ावा मिला और उसने किताबों की दुनिया में गहरी रुचि दिखाई।
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थॉमस ने कड़ी मेहनत और प्रयोग जारी रखे, अंततः बिजली का बल्ब आविष्कार कर दुनिया को बदल दिया और एक महान आविष्कारक बन गया।
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वर्षों बाद, जब थॉमस की माँ का निधन हो गया, तो उसे वह पुराना पत्र मिला जिसमें लिखा था कि थॉमस मंद-बुद्धि है और उसे स्कूल से निकाला जा रहा है।
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यह जानकर एडिसन को एहसास हुआ कि उसकी माँ ने झूठ बोला था ताकि उसका आत्मविश्वास बना रहे और उसने उसके लिए एक नया विश्वास का मार्ग खोला।
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यह कहानी हमें सिखाती है कि नकारात्मक बातें हमारी तकदीर नहीं लिख सकतीं; खुद पर और अपनों पर विश्वास करना सबसे महत्वपूर्ण है।
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थॉमस एडिसन की माँ ने उसे आत्मविश्वास का बीज दिया, जो आगे चलकर एक महान वृक्ष बना।
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नैतिक सीख यह है कि सच्ची लगन, मेहनत और एक अच्छे मार्गदर्शक के साथ कोई भी इंसान महान बन सकता है।
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