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कहानी "उपकार का बदला" में एक गिलहरी चीकू और एक भालू बलवान की दोस्ती का वर्णन है। यह कहानी दिखाती है कि उपकार का बदला हमेशा बड़ी मुश्किल में मिलता है और सच्चा बल मन की दयालुता और दूरदर्शिता में होता है।
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सहयोग वन नामक जंगल में चीकू और बलवान रहते हैं, जिनके व्यक्तित्व विपरीत हैं। चीकू छोटी और फुर्तीली गिलहरी है, जो मददगार और दूरदर्शी है, जबकि बलवान एक विशाल और ताकतवर भालू है, जो अपनी ताकत पर घमंड करता है।
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एक दिन बलवान शहद की तलाश में फिसलकर खाई में गिर जाता है। उसकी मदद के लिए कोई नहीं आता, लेकिन चीकू अपनी फुर्ती और बुद्धिमानी से उसे बचाने का निर्णय लेता है।
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चीकू अपनी छोटी ताकत का इस्तेमाल करके बलवान को खाई से बाहर निकालता है। इस घटना के बाद बलवान चीकू की कृतज्ञता को समझता है और उसे अपना सबसे अच्छा दोस्त मान लेता है।
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कुछ समय बाद जंगल में भीषण अकाल आता है, जिससे बलवान जैसे बड़े जीवों को पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। बलवान को चीकू की याद आती है, जिसने पहले उसकी मदद की थी।
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चीकू ने पहले से ही पानी का एक गुप्त स्रोत खोज रखा था और बलवान को उसकी जानकारी देता है। बलवान अपनी ताकत का उपयोग करके दरार को चौड़ा करता है ताकि सभी जानवर पानी पी सकें।
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इस प्रकार, चीकू का उपकार बलवान की मदद के रूप में लौटता है, और बलवान पूरे जंगल की मदद करता है।
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कहानी यह सिखाती है कि निस्वार्थ उपकार का बदला हमेशा मिलता है और दयालुता और सहयोग से ही सच्ची ताकत का पता चलता है।
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बलवान अब छोटे जीवों की भी कद्र करता है और समझता है कि ताकत का सही उपयोग सहयोग और उपकार में है।
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यह प्रेरणादायक कहानी हमें अहंकार छोड़कर दयालु बनने और सभी को समान महत्व देने की सीख देती है, क्योंकि कभी-कभी एक छोटा सा उपकार जीवन में बड़ा आशीर्वाद बन सकता है।
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