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दो गरीब किसान एक गाँव में रहते थे, जिनकी आजीविका खेती पर निर्भर थी। उनके पास जमीन कम थी और फसल सीमित होती थी, जिससे धन की हमेशा कमी रहती थी।
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दोनों किसानों का स्वभाव अलग था; एक असंतुष्ट और गुस्सैल था, जबकि दूसरा संतोषी और प्रसन्नचित्त था।
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मृत्यु के बाद, यमलोक में यमराज ने उन्हें अगले जन्म में मनचाहा जीवन देने का वादा किया।
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पहले किसान ने बिना मेहनत के धन की इच्छा जताई, जिससे यमराज ने उसे भिखारी बना दिया। उसे बिना मेहनत के पैसे मिलते थे, लेकिन वह और असंतुष्ट हो गया।
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दूसरे किसान ने दूसरों की सेवा करने की इच्छा जताई, जिससे यमराज ने उसे गाँव का सबसे अमीर और दयालु व्यक्ति बना दिया। वह खुद भी खुश था और दूसरों को भी खुश रखता था।
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इस कहानी से यह सीख मिलती है कि संतोष ही असली धन है, और लालच का फल हमेशा कड़वा होता है।
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सबसे अमीर वही व्यक्ति होता है, जो दूसरों की मदद कर सके और जो मिला है उसमें खुश रहना सीखे।
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जीवन में सकारात्मक सोच रखने वाले लोग ही सच्चे सुख का अनुभव कर सकते हैं।
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संतोष ही असली धन है – हमेशा असंतोष रखने वाले लोग कभी सुखी नहीं रह सकते।
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