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जंगल में एक चालाक सियार रहता था, जो अपनी चालाकी के लिए मशहूर था। एक दिन सियार गाँव की ओर चला गया, जहाँ गाँव के कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया।
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हमले से बचने के लिए सियार गलती से नीले रंग की हौदी में गिर गया, जिससे उसका पूरा शरीर नीला हो गया।
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जब वह वापस जंगल में लौटा, तो उसका नीला रंग देखकर सारे जानवर चौंक गए और हाथी ने पूछा कि उसका रंग नीला क्यों है।
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सियार ने चालाकी से कहा कि वह भगवान का दूत है और उसे जंगल में शांति और सौहार्द लाने के लिए भेजा गया है, जिससे जानवर उसे राजा मानने लगे।
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राजा बनने के बाद सियार को हर दिन स्वादिष्ट फल और भोजन मिलने लगा और वह आराम से जीवन व्यतीत करने लगा।
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एक रात सियार को अपने पुराने दोस्तों की याद आ गई और वह जोर-जोर से हुआँ-हुआँ करने लगा, जिससे जानवरों को उसकी असलियत पता चल गई।
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जानवरों ने गुस्से में कहा कि सियार ने उन्हें धोखा दिया है और सबने मिलकर उसे जंगल से भगाने का निर्णय लिया।
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डर के मारे सियार जंगल छोड़कर भाग गया। कहानी से यह सीख मिलती है कि झूठ और चालाकी से मिली सफलता स्थायी नहीं होती और सच्चाई हमेशा बाहर आ जाती है।
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यह कहानी हमें सिखाती है कि झूठ और चालाकी से कोई भी सफलता स्थायी नहीं होती। सच को छिपाना मुश्किल होता है, और सच्चाई हमेशा बाहर आ ही जाती है।
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