28 सितम्बर 1907 में दक्षिण पंजाब (अब पाकिस्तान में) के लायलपुर में जन्मे भगत सिंह (Bhagat Singh) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारी हीरो थे।
भगत सिंह के बारे में 12 तथ्यः
भगत सिंह (Bhagat Singh) के माता पिता जब उनकी शादी करना चाहते थे तो वह घर छोड़कर कानपुर के लिए निकल पड़े थे और उन्होंने कहा था की उन्होंने गुलाम भारत से शादी कर ली है और उनकी दुल्हन सिर्फ मौत होगी। इसके बाद उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के साथ काम किया।
सुखदेव के साथ मिलकर उन्होंने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई और पुलिस सुपरिटेंडेंट जेम्स स्काॅट को लाहौर में मारने की योजना बनाई।
सिख होने के बावजूद उन्होंने अपनी दाढ़ी और बाल कटवाए ताकि उन्हें पहचानकर गिरफ्तार न किया जाए। वह लाहौर से कलकत्ता जाने में सफल हुए थे।
एक साल बाद उन्होंने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम्ब फेंक कर इन्कलाब जिंदाबाद के नारे लगाए थे। उस समय वह गिरफ्तार नहीं होना चाहते थे।
पूछताछ के दौरान अंग्रेजो को जाॅन सैंडर्स के कत्ल में भगत सिंह (Bhagat Singh) की मिलीभगत के बारे में पता चला।
अपने केस के दौरान उन्होंने अपने लिए कोई वकील नहीं किया बल्कि मौके का फायदा उठाते हुए उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की बात उठाई।
उनकी मौत का एलान 7 अक्टूबर 1930 को सुनाया गया था, जो उन्होंने बड़ी बहादुरी के साथ सुना था।
जेल में उन्होंने कैदियों के लिए बढ़िया इंतजाम करवाने के लिए भूख हड़ताल भी की थी।
उन्हें फांसी की सजा 24 मार्च 1931 के लिए सुनाई गयी थी लेकिन उसे 11 घंटे पहले घटाकर फांसी की सजा उन्हें 23 मार्च 1931 को शाम 7ः30 बजे दे दी गयी।
कहा जाता है की उनकी फांसी को देखने के लिए कोई मजिस्ट्रेट हामी नहीं भर रहा था। असली मौत का वारंट खत्म होने के बाद जज ने ही फांसी लगते हुए देखा था।
महान लोग कहते हैं कि फांसी लगवाने के लिए भगत सिंह हँसते हुए गए थे और उन्हें इस बात का बिल्कुल भी डर नहीं था कि उन्हें फांसी लगने वाली है।
भारत का यह महान स्वतंत्रता सैनानी सिर्फ 23 साल का था जब उसे फांसी दी गयी थी। उनकी मौत ने हजारों लोगों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरणा दी।