E-comic : पपीताराम और औकात
क्या आपने कभी किसी चीज़ को देखकर सोचा है — “काश! ये मेरी होती!” 😋 बिलकुल वैसे ही जैसे जब हम बेकरी की दुकान के बाहर से देखते हैं — केक, पेस्ट्री, चॉकलेट्स… और फिर हमारी ज़ुबान अपने आप कहती है
क्या आपने कभी किसी चीज़ को देखकर सोचा है — “काश! ये मेरी होती!” 😋 बिलकुल वैसे ही जैसे जब हम बेकरी की दुकान के बाहर से देखते हैं — केक, पेस्ट्री, चॉकलेट्स… और फिर हमारी ज़ुबान अपने आप कहती है
बच्चों, क्या आपने कभी भूख लगने पर सिर्फ़ कल्पना में खाना खाया है? या फिर किसी दोस्त से कुछ वादा किया हो, और बाद में पता चले कि वह तो सिर्फ़ एक मज़ाक था?
पपीताराम और नेकी का फल : कहानी की शुरुआत होती है पपीता राम से, जो डॉक्टर अंकल से मिलने क्लिनिक जाता है। डॉक्टर मरीजों को देखने में व्यस्त होते हैं, तो पपीता राम बाहर बेंच पर बैठ जाता है। उसके पास ही लगभग आठ साल का एक बच्चा बैठा है।
पपीता राम एक नटखट और जिद्दी लड़का था, लेकिन उसे होली खेलना बिल्कुल पसंद नहीं था। जब उसके दोस्त रंग और पिचकारी लेकर उसके पास आए, तो उसने सीधे हाथ जोड़कर मना कर दिया –
एक छोटे से कस्बे में, जहां बच्चों की खुशियाँ और सपने उनके स्कूल के मैदान में खेलकूद के साथ बुने जाते थे, वहाँ पपीता राम नाम का एक नन्हा विद्यार्थी अपनी अनोखी चुनौतियों का सामना कर रहा था।
पपीता राम, जो एक मजेदार और चुलबुला लड़का है, अपनी मम्मी से ₹500 मांगता है। घर में आते ही वह मम्मी को पुकारता है, जिससे मम्मी घबराकर पूछती हैं कि आखिर बात क्या है।
यह कहानी पपीताराम और उसके दोस्त की मजेदार बातचीत और हास्यास्पद स्थिति पर आधारित है। कहानी की शुरुआत होती है जब पपीताराम का एक दोस्त, जो बहुत सारा खाना लेकर आता है,