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(Coal Facts) कोयला मुख्य रूप से उन पेड़-पौधों से बना है जो लगभग 300 मिलियन वर्ष पहले जीवित थे। ये पेड़-पौधे दलदली इलाकों में जमा होते गए और कीचड़ व रेत की मोटी परतों के नीचे दब गए। समय के साथ, बढ़ते दबाव और तापमान के कारण ये कार्बन में बदल गए, जिससे कोयला बना।
कोयले के प्रकार:
- पीट: कोयले का सबसे प्रारंभिक रूप।
- लिग्नाइट: कम कार्बन और अधिक नमी वाला कोयला।
- बिटुमिनस: मध्यम श्रेणी का कोयला, बिजली उत्पादन में उपयोगी।
- एंथ्रासाइट: उच्च गुणवत्ता वाला कोयला, जिसमें सबसे ज्यादा कार्बन होता है।
कोयले का उपयोग:
कोयला मुख्यतः बिजली उत्पादन, इस्पात निर्माण, और सीमेंट निर्माण में उपयोग होता है। इसके अलावा, इसे घरों में भी गर्मी पैदा करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
कोयले के खनन के तरीके:
- ओपन-पिट माइनिंग: सतह के करीब स्थित कोयले के लिए।
- अंडरग्राउंड माइनिंग: गहरे भूभाग में स्थित कोयले के लिए।
कोयले के लाभ और हानि:
- लाभ: ऊर्जा का स्थिर और सस्ता स्रोत, औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण।
- हानि: पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग में योगदान, खनन से प्राकृतिक संसाधनों की हानि।
कोयले की वर्तमान स्थिति और भविष्य:
भारत में कोयला एक प्रमुख ऊर्जा स्रोत है, लेकिन पर्यावरणीय चिंताओं के चलते इसके उपयोग में कमी आ रही है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ते रुझान से कोयले की मांग में धीरे-धीरे गिरावट हो सकती है।
कोयला आज भी एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है, लेकिन इसके उपयोग के साथ-साथ पर्यावरणीय प्रभावों का भी ध्यान रखना जरूरी है। आधुनिक समय में, कोयला उद्योग को टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों के साथ संतुलन बनाना होगा।