Facts : कागज के नोट

यह तो हम सभी जानते हैं कि भारत की मुद्रा का नाम ‘रुपया’ है. इस रुपये का इतिहास सालों पुराना है. एक जमाने में सिर्फ सिक्के चलते थे लेकिन वक्त के साथ-साथ भारतीय मुद्रा की शक्ल, साइज और आकार बदलता गया

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कागज के नोट: यह तो हम सभी जानते हैं कि भारत की मुद्रा का नाम ‘रुपया’ है. इस रुपये का इतिहास सालों पुराना है. एक जमाने में सिर्फ सिक्के चलते थे लेकिन वक्त के साथ-साथ भारतीय मुद्रा की शक्ल, साइज और आकार बदलता गया, आजकल नोट कागजी नोट की शक्ल में हमारे सामने है आज हम आपको बताते हैं कि यह कागजी नोट कब अस्तित्व में आए, भारत में कागज़ के नोटों की शुरुआत अंग्रेज़ों ने की थी, जब उन्होंने साल 1862 में पहला नोट जारी किया था. इस नोट पर ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया की तस्वीर थी. वहीं, भारत में पहला बैंक नोट 1949 में जारी किया गया था. यह एक रुपये का नोट था. 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी पहली करेंसी 1938 में छापी थी. यह पांच रुपये का नोट था, जिस पर किंग जॉर्ज की तस्वीर थी. साल 1996 में आरबीआई ने नोटों में बदलाव किया और तब से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर का इस्तेमाल किया जाने लगा. 

नोट बनाने के लिए कॉटन से बने कागज़ और खास स्याही का इस्तेमाल किया जाता है

इसके लिए इस्तेमाल होने वाला कागज़ ज़्यादातर विदेशों से आता है. इनमें यूनाइटेड किंगडम, जापान, और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं. 

भारत में कागज़ बनाने की इकलौती पेपर मिल मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में है. यह नोट और स्टांप के लिए कागज़ बनाती है. 

नोट बनाने के लिए गैटलिन और एडहेसिव सॉल्यूशन का भी इस्तेमाल किया जाता है

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