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For green future Return to Peepal Neem and Banyan
नीम और बरगद: - पिछले कई दशकों में, भारतीय सरकार और समुदाय ने पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाते हुए स्थानीय पेड़ों जैसे पीपल, बरगद, और नीम की महत्वता को पहचानना शुरू किया है। ये पेड़ न केवल पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं बल्कि उन्होंने सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी रखते हैं। ये पेड़ भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जो शहरी इलाकों में प्रदूषण को कम करने में सहायक होते हैं।
बात अजीब है, किन्तु सत्य है पिछले 64 सालों में पीपल, बरगद और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया है।
जबकि पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजॉर्बर है, बरगद 80% और नीम 75% ।
इसके बदले लोगों ने विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया, जो जमीन को जल विहीन कर देता है।
आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है । जबकि रिफ्रेशर बरगद और नीम बहुत तेजी से कम होते जा रहे हैं
अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नहीं रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही, और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही ।
इसलिए जरूरी यह है कि हम हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल,नीम का पेड़ लगायें, क्योंकि पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है, जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं।
वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है । इन जीवनदाई वर्षों के लिए किसी ने एक बहुत अच्छी कविता भी रची है-\
बरगद एक लगाइये, पीपल रोपें पाँच।
घर घर नीम लगाइये, यही पुरातन साँच।।
यही पुरातन साँच, आज सब मान रहे हैं।
भाग जाय प्रदूषण सभी अब जान रहे हैं ।।
विश्वताप मिट जाये, होय हर जन मन गदगद।
धरती पर त्रिदेव हैं, नीम पीपल और बरगद।।
बच्चों आप भी निश्चय कर लें कि आप स्वयं और अपने परिवार को ऐसे जीवनदाई वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित करेंगे।
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