सांता क्लॉज: बच्चों के प्यारे अंकल का चौंकाने वाला इतिहास और रहस्य!
क्रिसमस का नाम सुनते ही बच्चों के मन में सांता क्लॉज का चेहरा आ जाता है। लाल-सफेद कपड़ों में बड़ी सफेद दाढ़ी और मुस्कान के साथ, कंधे पर गिफ्ट्स से भरा बैग टांगे, सांता हर बच्चे की खुशियों का कारण बनते हैं। क्रिसमस के इस खास मेहमान को बच्चे बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि सांता अंकल चॉकलेट्स और गिफ्ट्स के जरिए उनकी खुशियां दोगुनी कर देते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज के सांता का असली रूप 19वीं सदी से पहले बिल्कुल अलग था? डेढ़ हजार साल पहले तीसरी सदी में जन्मे संत निकोलस को सांता क्लॉज का असली जनक माना जाता है। उनके जीवन की कहानी क्रिसमस के इतिहास का एक अनमोल हिस्सा है।
संत निकोलस की प्रेरणादायक कहानी
संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में मायरा (अब तुर्की) में हुआ था। रईस परिवार में जन्म लेने के बावजूद, उन्होंने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया। उनका जीवन प्रभु यीशु की आस्था और दया पर आधारित था। बड़े होकर वे पादरी और फिर बिशप बने। उनकी खासियत थी, बच्चों और जरूरतमंदों को गिफ्ट्स देना।
क्यों देते थे आधी रात को उपहार?
संत निकोलस गिफ्ट्स चुपचाप देना पसंद करते थे। वे नहीं चाहते थे कि कोई उन्हें उपहार देते हुए देखे। इसी कारण वे अक्सर आधी रात को गिफ्ट्स रखते थे। बच्चों को जल्दी सुला दिया जाता ताकि वे सांता को देख न सकें। यह परंपरा आज भी कुछ जगहों पर प्रचलित है।
सांता और क्रिसमस का अटूट बंधन
हालांकि संत निकोलस और प्रभु यीशु के बीच सीधा संबंध नहीं है, लेकिन उनकी दयालुता ने सांता को क्रिसमस का हिस्सा बना दिया। आज बिना सांता के क्रिसमस अधूरा सा लगता है।
यह कहानी क्यों पढ़ें?
क्या आप जानते हैं कि सांता का घर उत्तरी ध्रुव पर माना जाता है और उनकी गाड़ी उड़ने वाले रेनडियर्स खींचते हैं? यह कहानी केवल सांता के इतिहास को नहीं, बल्कि उनकी प्रेरणा और दयालुता को भी सामने लाती है। बच्चों को यह पढ़कर पता चलता है कि खुशी बांटने का असली महत्व क्या है।