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एक अच्छी कहानी - सुरीला गधा- एक वक्त की बात है एक बूढ़ा गधा जो अपने मालिक का सामान ढोता था। एक रात उसे अपनी मर्जी से घूमने का मौका मिला और वो निकल पड़ा। उसे रास्ते में एक सियार मिला और वे दोनों खाने की तलाश में निकल पड़े। उन्हें खीरे से भरा एक बागिचा मिला और वे अपने पेट पूजा की तैयारी में जुट गए। इसके बाद से वे रोजाना उसी बागिचे में खीरे का भोजन करने चले जाते थे। धीरे धीरे गधा स्वस्थ्य और मोटा दिखने लगा।
एक रात खाना खाने के बाद गधे ने सियार से उत्साहित होकर कहा आज मैं एक गाना, गाना चाहता हूं। लेकिन सियार ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया। सियार ने कहा कि, वे लोग चोर हैं और ऐसी कोई भी आवाज करना खतरे से खाली नहीं होगा, किसान किसी भी आवाज से जाग सकते हैं। अगर वे पकड़े गए तो उन्हें बहुत मार पड़ सकती है। लेकिन गधे की जिद थी कि वो गाना गाए। सियार ने गधे से कहा कि, उसकी आवाज मीठी नहीं है। गधे को लगा कि सियार उससे जलता है इसलिए ऐसा करने से मना कर रहा है। सियार ने फिर गधे को मना किया लेकिन गधे ने उसकी एक ना सुनी।
गधे ने गाना गाना शुरू कर दिया। सियार बागिचे के बाहर उसका इंतजार करने लगा। जब किसानों ने गधे की आवाज सुनी वे उसे मारने के लिए दौड़ कर आ गए। गधा नीचे गिर गया और किसानों ने उसके गले में एक भारी सा पत्थर बांध दिया। गधा किसी तरह से वहां से भागने में सफल हुआ और उसने सियार से माफी भी मांगी। सियार ने उसे उसके इनाम के लिए बधाई दी। गधे को अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने सही उपदेश ना मानने के लिए सियार से माफी मांगी।
सीख-
जिन लोगों के पास अपनी बुद्धि नहीं और जो अपने दोस्तों के सही उपदेश का भी पालन नहीं करते हैं उनका हश्र गधे जैसा ही होता है।