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सदियों पुरानी पहेली का जवाब
प्यारे बच्चों, क्या आपने कभी अपने बड़ों से यह मज़ाकिया सवाल सुना है: "अक्ल बड़ी या भैंस?" सवाल बहुत सीधा है, लेकिन इसका जवाब सोचने पर मजबूर कर देता है! भैंस तो साइज़ में बहुत बड़ी होती है, ताकतवर होती है, जबकि 'अक्ल' (बुद्धि) दिखाई भी नहीं देती। तो फिर दोनों में बड़ा कौन?
आज हम एक ऐसे ही मज़ेदार मुकाबले की कहानी पढ़ेंगे, जो एक विशालकाय
बलवान भैंसा 'जंगू' और बुद्धिमान खरगोश 'चंदू'
'गुलमोहर वन' नाम के एक घने जंगल में, जंगू नाम का एक बहुत ही ताकतवर भैंसा रहता था। जंगू को अपनी विशाल ताकत पर बहुत घमंड था। वह अक्सर छोटे जानवरों को डराता था और अपनी तारीफ करवाता था। वह हमेशा कहता था, "इस जंगल में मुझसे बड़ा और ताकतवर कोई नहीं!"
उसी जंगल में, चंदू नाम का एक छोटा, फुर्तीला खरगोश रहता था। चंदू ताकत में तो जंगू के सामने कुछ भी नहीं था, लेकिन उसकी अक्ल बहुत तेज़ थी।
एक दिन, घमंडी जंगू भैंसे ने सभी जानवरों को चुनौती दी।
जंगू: "क्या इस जंगल में कोई है जो मुझे यह साबित करके दिखाए कि मुझसे बड़ी कोई चीज़ है?"
सभी जानवर डर गए। तभी, चंदू खरगोश उछलकर आगे आया।
चंदू: "जंगू मामा, मैं साबित कर सकता हूँ कि आपसे बड़ी और ताकतवर कोई चीज़ है।"
जंगू: (हँसते हुए) "तुम छोटे से खरगोश? हा-हा! ठीक है, अगर तुमने साबित कर दिया, तो मैं तुम्हारा गुलाम बन जाऊँगा। अगर नहीं कर पाए, तो तुम्हें मेरी पीठ पर घास ढोनी पड़ेगी।"
चंदू ने चुनौती स्वीकार कर ली।
ताकत बनाम तरकीब: पहली परीक्षा
अगले दिन, मुकाबले की शुरुआत हुई। जंगू ने पहला काम दिया।
जंगू: "चंदू, अगर तुम्हारी अक्ल बड़ी है, तो मेरे सामने यह विशाल
पत्थर पड़ा है। इसे बिना छुए, एक जगह से दूसरी जगह ले जाकर दिखाओ।"
भैंसे ने सोचा, 'यह तो नामुमकिन है! मैं खुद इतनी ताकत से इसे थोड़ा-बहुत हिला सकता हूँ, पर बिना छुए? यह खरगोश अब हार जाएगा।'
चंदू मुस्कुराया। वह पत्थर के पास गया, लेकिन उसे छुआ नहीं। उसने देखा कि पत्थर के ठीक नीचे मिट्टी थोड़ी ढीली है और वहाँ कुछ घास उगी हुई है।
चंदू ने धीरे-धीरे उस घास और ढीली मिट्टी को खोदना शुरू किया, जिससे पत्थर का एक किनारा थोड़ा-सा ढीला हो गया। फिर, वह कूदकर पत्थर के दूसरी तरफ गया और अपने छोटे-छोटे पैरों से ज़ोर से ज़मीन पर कूदने लगा। लगातार कूदने से ज़मीन में कंपन हुई और हल्का ढीला हुआ पत्थर थोड़ा-सा लुढ़ककर दूसरी जगह चला गया।
सभी जानवर हैरान रह गए! जंगू भी चकरा गया।
जंगू: "यह कैसे हुआ? तुमने तो छुआ भी नहीं, फिर भी पत्थर हिल गया!"
चंदू: "जंगू मामा, यह अक्ल का कमाल है। ताकत पत्थर को सीधा उठाती है, पर अक्ल उसे लुढ़कने का रास्ता दिखाती है। मैंने ज़मीन की ताकत का इस्तेमाल किया।"
अक्ल की अंतिम जीत: सबसे बड़ा भार
जंगू अभी भी हार मानने को तैयार नहीं था। उसने दूसरा और सबसे मुश्किल काम दिया।
जंगू: "ठीक है। अब, अगर तुम्हारी अक्ल सच में बड़ी है, तो मेरे ऊपर, मेरी पीठ पर, ऐसा कोई भार रखकर दिखाओ जिसे मैं ज़िंदगी भर ढोता रहूँ और उतार न सकूँ।"
जंगू ने सोचा, 'मैं इतना बड़ा हूँ, कौन सा भार मेरे ऊपर रखा जा सकता है जो मैं उतार न सकूँ?'
चंदू ने आँखें मटकाईं और फिर जंगल में लगे एक विशाल
चंदू: "ठीक है, जंगू मामा। आप तैयार हो जाइए। मैं आपकी पीठ पर जो भार रखने जा रहा हूँ, वह न तो आपका वजन बढ़ाएगा और न ही आपको थकाएगा, लेकिन आप उसे उतार नहीं पाएँगे।"
जंगू तैयार हो गया। चंदू फुर्ती से जंगू की पीठ पर चढ़ा और उसके कान के पास जाकर धीरे से बोला:
"आपकी पीठ पर अब एक वादा है: आज के बाद, आप कभी किसी छोटे जानवर पर अपनी ताकत का घमंड नहीं करेंगे और हमेशा उनकी मदद करेंगे।"
जंगू सन्न रह गया! उसने तुरंत अपनी पीठ पर हाथ फेरा, पर कुछ भी महसूस नहीं हुआ। लेकिन उसे एहसास हुआ कि चंदू ने क्या कह दिया।
जंगू: (गहरी साँस लेते हुए) "यह... यह कैसा भार है?"
चंदू: "जंगू मामा, यही नैतिकता और वचन का भार है। शरीर की ताकत से आप पत्थर उठा सकते हैं, लेकिन अक्ल और वचन का भार ज़िंदगी भर ढोना पड़ता है। अब यह वादा आपकी पीठ पर रहेगा और आप इसे तोड़ नहीं सकते।"
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जंगू की आँखें खुल गईं। उसने पहली बार अपने घमंड और मूर्खता को समझा।
जंगू: "तुम जीत गए, चंदू! वाकई, अक्ल बड़ी या भैंस—इसका जवाब आज मिल गया। अक्ल ही सबसे बड़ी है।"
उस दिन से, घमंडी जंगू भैंसा विनम्र बन गया और चंदू खरगोश ने अपनी अक्ल से पूरे जंगल को सिखा दिया कि बुद्धि ही सबसे बड़ी शक्ति है।
सीख (Moral of the Story)
यह कहानी हमें सिखाती है कि शारीरिक शक्ति से कहीं ज़्यादा मानसिक शक्ति (बुद्धि) ज़रूरी होती है। जीवन में हर समस्या का हल ताकत से नहीं, बल्कि समझदारी, तर्क और शांत दिमाग से खोजना चाहिए। याद रखना बच्चों, अक्ल हमेशा भैंस से बड़ी होती है!
