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एक बूढ़ा और कमजोर शेर अपने चमचे गीदड़ की मदद से पेट भरता है। गीदड़ एक बेवकूफ गधे को “हरी घास और सुंदर गधी” का लालच देकर दो बार जंगल लाता है। पहली बार गधा भाग निकलता है, दूसरी बार शेर का शिकार बन जाता है। ये कहानी हंसाते-हंसाते बहुत बड़ी सीख देती है।
चलो, अब पढ़ते हैं ये लोटपोट कर देने वाली मजेदार कहानी...
जंगल के एक कोने में एक बूढ़ा शेर रहता था – नाम था बादशाह भैया। जवानी में वो बहुत ताकतवर था, पर अब उम्र हो चली थी। सारे नौजवान शेर उसे ताना मारते, “चलो बूढ़े, अब आराम करो।” इसलिए बादशाह भैया अलग-थलग रहने लगा। उसका एक चमचा था – चालू गीदड़। चालू दिन-रात बादशाह की चापलूसी करता – “महाराज, आपकी एक दहाड़ से जंगल काँपता है! आप तो अभी भी नंबर वन हैं!” बस यही सुनकर बादशाह का सीना 56 इंच हो जाता। बदले में चालू को बचा-खुचा मांस मिल जाता।
एक दिन बादशाह ने बहुत जोर का सांड देखा। सोचा, “आज फिर जवानी दिखा दूँ!” पर सांड ने एक लात मारी कि बादशाह उड़कर पेड़ से टकराए। सींगों से रगड़ा और भागे। घर पहुँचे तो पूरा शरीर घायल। कई हफ्ते बीते, जख्म ठीक नहीं हुए। शिकार करना तो दूर, चलना भी मुश्किल। दोनों भूखे मरने की कगार पर।
बादशाह ने चालू से कहा, “यार, अब तू ही कुछ कर। कोई बेवकूफ जानवर फंसाकर ला, मैं झाड़ी में छिपा रहूँगा।” चालू की आँखें चमकीं, “महाराज, बस एक दिन की बात है!”
वो निकला और कस्बे के बाहर नदी किनारे पहुँचा। वहाँ एक दुबला-पतला गधा घास चर रहा था – नाम था भोलू गधा। भोलू का मालिक धोबी बहुत मारता था, चारा नहीं देता था।
चालू ने मीठी आवाज में कहा, “पाय लागूँ चाचाजी! अरे आप तो बिल्कुल कमजोर हो गए!” भोलू उदास होकर बोला, “क्या बताऊँ भतीजा, धोबी दिन-रात कपड़े ढुलवाता है, चारा नाममात्र।”
चालू ने लार टपकाते हुए कहा, “चाचा, हमारे जंगल में हरी-हरी, रसीली घास है। आओ ना! और सुनो… वहाँ एक सुंदर गधी भी आई है। धोबी के अत्याचार से तंग आकर भागी है। अब खूब मोटी-ताजी हो गई है। आपकी जोड़ी बहुत जंचेगी!”
भोलू के कान खड़े हो गए, “सच कह रहा है?” चालू – “कसम से चाचा! अब जंगल में सत्संग हो गया है। बगुला भगत जी ने सत्संग किया था, सारे जानवर शाकाहारी बन गए। कोई किसी को छूता भी नहीं!”
भोलू सपने देखने लगा – हरी घास, सुंदर गधी… और चल पड़ा।
जंगल में झाड़ी के पास पहुँचे। बादशाह की दो आँखें अँधेरे में चमकीं। भोलू ने देखा तो चिल्लाया, “अरे ये तो शेर है!” और इतना तेज भागा कि ओलंपिक में गोल्ड मिल जाता।
बादशाह गुस्से में बोला, “यार चालू, इस बार मैं तैयार नहीं था। दोबारा ला!”
चालू फिर गया। भोलू को देखते ही बोला, “चाचा, तुमने तो मेरी नाक कटवा दी! वो तुम्हारी दुल्हन थी! तुम्हें देखकर उसकी आँखें प्यार से चमक रही थीं, तुमने शेर समझ लिया?”
भोलू शर्म से लाल, “सॉरी भतीजा… चलता हूँ।”
इस बार जैसे ही झाड़ी के पास पहुँचे, बादशाह ने एक झपट्टे में भोलू को पकड़ लिया। चालू खुशी से नाचने लगा।
बादशाह ने पेट भर खाया और चालू को भी हिस्सा दिया।
उसके बाद जब भी जंगल में कोई नया जानवर आता, पुराने वाले हँसते – “भाई, चालू गीदड़ से बचकर रहना, वरना भोलू गधा बन जाओगे!” भोलू की आत्मा ऊपर से देखती और सोचती, “अरे यार, हरी घास और गधी के चक्कर में पूरी जिंदगी गई!”
सीख:
दोस्तों, किसी की मीठी-मीठी बातों में आकर अंधा विश्वास मत करो। थोड़ा दिमाग लगाओ, वरना बेवकूफ गधा बनने में देर नहीं लगती! हँसते रहो, पर होशियार भी बनो!
