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चालाक चिड़िया और धोखेबाज साँप की प्रेरक कहानी
एक घने जंगल में, जहाँ हवा में चंदन की खुशबू तैरती थी, एक विशाल चंदन के पेड़ पर एक आलसी और घमंडी साँप रहता था। वह दिन-रात पेड़ की टहनियों से लिपटकर सोता और चंदन की सुगंध का आनंद लेता। उसका नाम था कालिया, और वह अपने आलस्य और चालाकी के लिए जंगल में मशहूर था।
चिड़िया का सुरक्षित घोंसला
उसी चंदन के पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर एक समझदार चिड़िया, जिसका नाम माया था, ने अपना छोटा-सा घोंसला बनाया था। माया के तीन नन्हे बच्चे थे—चिंटू, मिंटू, और ट्विंकल। वह रोज सुबह-सुबह दाना लाकर उन्हें खिलाती और उड़ने की कला सिखाती। माया अपने बच्चों को हमेशा सिखाती थी, “जंगल में रहने के लिए सतर्कता सबसे बड़ा हथियार है। कभी भी किसी पर आँख मूँदकर भरोसा मत करना।”
एक दिन, जब माया अपने बच्चों को दाना खिला रही थी, उनकी चहचहाहट से कालिया साँप की नींद टूट गई। वह गुस्से में फुफकारते हुए बोला, “अरे, चिड़िया! अपने इन शोर मचाने वाले बच्चों को चुप करा! दिन में भी चैन से सोने नहीं देते!”
माया ने शांत स्वर में जवाब दिया, “कालिया भाई, दिन मेहनत करने का समय है। आप भी कुछ काम कर लिया करें, सुगंध सूँघने के अलावा!”
कालिया ने ठहाका लगाया। “हम साँप मेहनत नहीं करते, बहन। हम बस इंतजार करते हैं। कोई शिकार पास आए, तो उसे दबोच लेते हैं और फिर हफ्तों आराम करते हैं।”
माया को उसकी बातों में छिपा खतरा नजर आया। उसने सतर्क होकर पूछा, “तो कहीं तुम मेरे नन्हे बच्चों को तो नहीं खाने की सोच रहे?”
कालिया ने हँसते हुए कहा, “अरे, छोटी चिड़िया! तुम्हारे ये नन्हे-मुन्ने बच्चे मेरे पेट की भूख क्या बुझाएँगे? मुझे तो बड़ा शिकार चाहिए!”
माया ने राहत की साँस ली, लेकिन उसका मन पूरी तरह आश्वस्त नहीं हुआ। उसने अपने बच्चों को और सतर्क रहने की हिदायत दी। “चिंटू, मिंटू, ट्विंकल, हमेशा आँख-कान खुले रखना। कालिया की बातों पर भरोसा मत करना। भूख इंसान को क्या, जानवर को भी पागल कर देती है।”
भूख और धोखा
दिन बीतते गए। कालिया को कई दिनों तक कोई बड़ा शिकार नहीं मिला। उसकी भूख बढ़ती जा रही थी। अब माया के नन्हे बच्चे उसे भोजन की तरह दिखने लगे। उसने मन ही मन सोचा, “ये छोटे-छोटे चूजे भले छोटे हैं, लेकिन भूख मिटाने के लिए काफी हैं।”
एक दिन, जब माया दाना लेने जंगल में गई, कालिया को मौका मिल गया। वह धीरे-धीरे फिसलता हुआ माया के घोंसले की ओर बढ़ा। उसकी आँखों में लालच चमक रहा था। लेकिन माया ने अपने बच्चों को इतना सिखा-पढ़ा रखा था कि वे हर पल चौकन्ने रहते थे। जैसे ही कालिया ने डाल पर चढ़कर उनके घोंसले की ओर लपकने की कोशिश की, चिंटू ने चिल्लाकर कहा, “मिंटू, ट्विंकल, सावधान! साँप आ रहा है!”
तीनों बच्चे तुरंत उड़कर पास के एक ऊँचे पेड़ की डाल पर जा बैठे। कालिया ने जल्दबाजी में लपका, लेकिन संतुलन खो बैठा और धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा। गिरने से उसकी पूँछ में गहरी चोट लग गई, और वह दर्द से कराहने लगा। उसी हादसे में माया का घोंसला भी टूटकर बिखर गया।
जब माया दाना लेकर लौटी और टूटा घोंसला देखा, तो उसका दिल धक् से रह गया। “मेरे बच्चे! कालिया ने मेरे बच्चों को खा लिया!” वह गुस्से और दुख में चीख पड़ी। उसने कालिया को जमीन पर पड़ा देखा और क्रोध में उसकी पीठ पर चोंच मारने लगी। “तूने मेरे बच्चों को खा लिया, धोखेबाज!”
तभी चिंटू, मिंटू, और ट्विंकल की चहचहाहट सुनाई दी। “माँ, हम यहाँ हैं! हम बच गए!” माया की जान में जान आई। वह उड़कर अपने बच्चों के पास पहुँची और उन्हें गले से लगा लिया। “शाबाश, मेरे बच्चों! तुमने मेरी सीख याद रखी!”
कालिया का पछतावा
कालिया दर्द से कराह रहा था। उसने माया की ओर देखा और कमजोर आवाज में कहा, “माया बहन, मुझे माफ कर दो। भूख ने मुझे अंधा कर दिया था। मैं वादा करता हूँ, अब तुम्हें या तुम्हारे बच्चों को कभी नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा। मेरे पेड़ पर वापस आ जाओ।”
माया ने ठंडे स्वर में जवाब दिया, “कालिया, विश्वास एक काँच का बर्तन है। एक बार टूट जाए, तो जुड़ता नहीं। तुमने मेरे बच्चों पर हमला किया। अगर वे सतर्क न होते, तो आज मैं उन्हें खो चुकी होती। मैं अब इस पेड़ पर नहीं रह सकती।”
माया ने अपने बच्चों को लेकर नदी के उस पार एक नए पेड़ पर घोंसला बनाया, जहाँ कालिया कभी नहीं पहुँच सकता था। उधर, कालिया की चोट और भूख दिन-ब-दिन बढ़ती गई। वह इतना कमजोर हो गया कि एक दिन उसकी मृत्यु हो गई। कालिया के मरते ही जंगल के लकड़हारे वहाँ आए और चंदन के सारे पेड़ काट ले गए। जंगल की वह सुगंध अब सिर्फ यादों में रह गई।
सारांश:
यह प्रेरक नैतिक कहानी माया नामक एक समझदार चिड़िया और एक धोखेबाज साँप कालिया की है, जो एक चंदन के पेड़ पर रहते हैं। कालिया अपनी भूख के कारण माया के बच्चों पर हमला करता है, लेकिन चिड़िया की सतर्कता और बच्चों की चालाकी उसे बचा लेती है। कालिया का धोखा और लालच उसका पतन बन जाता है, जबकि माया अपने बच्चों के साथ सुरक्षित नया घर बना लेती है। यह कहानी सिखाती है कि सतर्कता और विश्वास का सही उपयोग जीवन को बचा सकता है।
सीख:
- सतर्कता है सुरक्षा: जंगल हो या जीवन, हमेशा चौकन्ना रहना जरूरी है।
- विश्वास कीमती है: विश्वास को बनाए रखने के लिए सच और नैतिकता जरूरी है। धोखा देने वाले अंततः अकेले रह जाते हैं।
- लालच का अंत बुरा: जो दूसरों का अहित सोचते हैं, उनका खुद का नाश हो जाता है।
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