सीख देती कहानी -चूहा और जाल

एक घने जंगल के किनारे एक कसाई के घर में एक चतुर चूहा, जिसका नाम था चिंटू, अपने बिल में रहता था। वहाँ उसे खाने का सामान आसानी से मिल जाता था। एक दिन उसने देखा कि कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं।

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सीख देती कहानी -चूहा और जाल :- यह प्रेरक जंगल कहानी चिंटू चूहे की है, जो चूहादानी के खतरे से अपने दोस्तों—पंखुरी कबूतर, कोको मुर्गा, और गोपाल बकरे—को सचेत करता है, लेकिन कोई उसकी बात नहीं मानता। अंत में, साँप के काटने से कसाई की पत्नी बीमार पड़ती है, और क्रमशः कबूतर, मुर्गा, और बकरे की बलि चढ़ती है। यह कहानी हमें सामूहिक जिम्मेदारी का पाठ सिखाती है।

एक घने जंगल के किनारे एक कसाई के घर में एक चतुर चूहा, जिसका नाम था चिंटू, अपने बिल में रहता था। वहाँ उसे खाने का सामान आसानी से मिल जाता था। एक दिन उसने देखा कि कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चिंटू की उत्सुकता जागी, और उसने सोचा, "शायद कोई स्वादिष्ट रोटी या दाल का डिब्बा हो!" छिपकर देखने पर उसे पता चला कि यह एक चूहादानी थी।

खतरे को भाँपते हुए चिंटू ने तुरंत घर के पीछे जाकर अपने दोस्त कबूतर, जिसे लोग पंखुरी कहते थे, को बताया, "भाई पंखुरी, घर में चूहादानी आ गई है, अब खतरा है!" पंखुरी ने हँसते हुए कहा, "अरे चिंटू, मुझे क्या? मैं तो आसमान में उड़ता हूँ, उस जाल में फँसने वाला नहीं!" चिंटू निराश होकर बोला, "लेकिन भाई, खतरा सबके लिए हो सकता है।"

अगला पड़ाव था मुर्गा, जिसका नाम था कोको। चिंटू ने उसे सावधान किया, "कोको भाई, चूहादानी का खतरा है, सतर्क रहो!" कोको ने ठहाका लगाया, "जा भाई, यह मेरी टेंशन नहीं, मैं तो अंडे देता हूँ, जाल से क्या डर!" चिंटू उदास होकर सोचने लगा, "कोई मेरी बात क्यों नहीं समझता?"

फिर उसने बाड़े में बकरे, गोपाल, को सूचना दी। चिंटू ने कहा, "गोपाल भाई, चूहादानी आ गई, खतरा है!" गोपाल हँसते-हँसते लोट-पोट हो गया और बोला, "अरे छोटा, तू परेशान मत हो, मैं तो घास खाता हूँ, मुझे क्या लेना-देना!" चिंटू हताश होकर वापस अपने बिल में लौट आया और सोचने लगा, "शायद कोई मेरी मदद नहीं करेगा।"

वही रात थी जब चूहादानी में 'खटाक' की आवाज हुई। अंधेरे में कसाई की पत्नी ने सोचा कि चूहा फँसा है, लेकिन वहाँ एक जहरीला साँप था, जो जाल में अटक गया था। उसने साँप की पूँछ को चूहे की समझकर पकड़ा, और साँप ने उसे डस लिया। पत्नी की हालत बिगड़ गई। कसाई ने घबराहट में हकीम को बुलाया, और हकीम ने सलाह दी, "कबूतर का सूप पिलाओ, यह जहर को कम करेगा।"

दुखद घटना में पंखुरी को पतीले में डाल दिया गया। खबर फैली, और कसाई के रिश्तेदार जमा हो गए। उनके लिए भोजन की व्यवस्था के लिए अगले दिन कोको मुर्गे को काटा गया। कुछ दिन बाद जब पत्नी स्वस्थ हुई, तो कसाई ने खुशी में दावत रखी, और गोपाल बकरे को भी बलि चढ़ा दिया गया। चिंटू यह सब देखकर दूर चला गया, एक सुरक्षित जगह ढूंढने के लिए। रास्ते में उसने सोचा, "अगर वे मेरी बात मान लेते, तो शायद यह न होता।"

एक दिन चिंटू ने जंगल में एक बूढ़े उल्लू से मुलाकात की और अपनी कहानी सुनाई। उल्लू ने गंभीर स्वर में कहा, "बेटा, हर किसी की समस्या दूसरों से जुड़ी होती है। एक का खतरा सबके लिए नुकसान बन सकता है।" चिंटू ने ठान लिया कि आगे से हर खतरे की सूचना वह साझा करेगा।

सीख

इस बेस्ट हिंदी जंगल स्टोरी से हमें यह jungle story के रूप में सीख मिलती है कि किसी की समस्या को नजरअंदाज न करें। समाज का हर हिस्सा एक-दूसरे से जुड़ा है; अगर कोई खतरे में है, तो पूरा समुदाय प्रभावित होता है। एकता और सहानुभूति से ही समस्याएँ हल हो सकती हैं।

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