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जब मुहावरा हकीकत बन जाए
प्यारे बच्चों, क्या आपने कभी यह मुहावरा सुना है: "दाँत खट्टे करना"? इसका मतलब होता है किसी को बुरी तरह हराना, पराजित करना, या उसे मजबूर कर देना कि वह हार मान ले। यह ज़रूरी नहीं कि हारने वाला हमेशा छोटा हो, और जीतने वाला हमेशा ताकतवर!
आज हम घने 'चालाकी वन' की कहानी पढ़ेंगे, जहाँ एक बहुत ही घमंडी और चालाक
लुक्की का घमंड और जंगल की परेशानी
लुक्की लोमड़ी जंगल की सबसे चालाक शिकारियों में गिनी जाती थी। वह अपनी तेज़ी और मक्कारी का उपयोग करके अक्सर छोटे जानवरों को तंग करती थी। वह किसी को भी जंगल में शांति से रहने नहीं देती थी और हमेशा अपने आप को सबसे श्रेष्ठ मानती थी।
लुक्की लोमड़ी: (घमंड से) "इस जंगल में मुझसे ज़्यादा दिमाग किसी के पास नहीं है! मैं जब चाहूँ, जिसके चाहूँ, दाँत खट्टे कर सकती हूँ।"
सारे जानवर लुक्की से परेशान थे, लेकिन कोई भी उसे चुनौती देने की हिम्मत नहीं कर पाता था, क्योंकि वह हमेशा शारीरिक बल और चालाकी से जीत जाती थी।
गप्पी खरगोश की योजना
गप्पी खरगोश आकार में बहुत छोटा था, लेकिन उसका दिमाग बिजली की तरह तेज़ चलता था। उसने लुक्की के अहंकार को तोड़ने की ठान ली। गप्पी जानता था कि सीधे लड़ाई में वह कभी नहीं जीत पाएगा, इसलिए उसने अपनी चतुराई पर भरोसा किया।
गप्पी ने लुक्की को खुले मैदान में एक अजीब चुनौती दी।
गप्पी खरगोश: "लुक्की बहन, मैं जानता हूँ तुम बहुत चालाक हो, पर मैं तुम्हें एक खेल में हरा सकता हूँ!"
लुक्की: (हँसते हुए) "हा हा! तुम जैसा छोटा जानवर मुझे हराएगा? ठीक है, बताओ क्या चुनौती है?"
गप्पी: "हम दोनों को 'कड़वे नींबू' की एक टोकरी एक साथ खानी है। जो पहले हार मानेगा, वह हमेशा के लिए जंगल छोड़कर चला जाएगा।"
नींबू की चुनौती और दाँत खट्टे होने का अर्थ
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लुक्की को लगा कि यह कितनी मूर्खतापूर्ण चुनौती है! वह खरगोश से बहुत बड़ी और मज़बूत थी। वह सोच भी नहीं सकती थी कि वह खरगोश से हार जाएगी।
लुक्की: "ठीक है, तुम्हारी हार निश्चित है! मैं एक ही बार में तुम्हें दाँत खट्टे कर दूँगी!"
अगले दिन, जंगल के सभी जानवर उस अजीब प्रतियोगिता को देखने के लिए इकट्ठे हुए। गप्पी और लुक्की के सामने खट्टे नींबुओं की दो बड़ी टोकरियाँ रखी गईं।
चतुराई बनाम घमंड
लुक्की ने बिना सोचे-समझे नीबू खाना शुरू किया। नीबू इतने खट्टे थे कि उसके दाँत तुरंत खट्टे हो गए, आँखें बंद होने लगीं और उसके चेहरे पर शिकन आ गई।
लेकिन, गप्पी खरगोश ने अपनी योजना के अनुसार काम किया।
उसने नीबू खाने से पहले अपनी जेब से शहद की एक छोटी शीशी निकाली।
हर बार जब वह नीबू का टुकड़ा मुँह में डालता, तो वह चुपके से थोड़ा-सा शहद भी चाट लेता था।
शहद की मिठास ने नीबू की भयंकर खटास को काफी हद तक दबा दिया।
लुक्की हैरान थी! वह देख रही थी कि खरगोश लगातार नीबू खाता जा रहा है, और वह खुद बुरी तरह थक चुकी थी। उसका पूरा मुँह खट्टा हो गया था, और वह एक और नीबू खाने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी।
लुक्की: (हार मानते हुए, मुँह बिगाड़कर) "बस... बस करो! मैं अब और नहीं खा सकती। तुम जीत गए, गप्पी।"
जीत का सबक और मुहावरे का प्रयोग
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लुक्की पूरी तरह से हैरान और पराजित थी। उसे एहसास हुआ कि उसकी शारीरिक शक्ति और शुरुआती चालाकी, गप्पी की तर्कसंगत योजना के आगे काम नहीं आई।
गप्पी ने लुक्की के सामने यह साबित कर दिया कि किसी को हराने के लिए केवल ताक़त या क्रूरता नहीं, बल्कि सही समय पर सही बुद्धि का इस्तेमाल करना ज़रूरी है। गप्पी ने न केवल लुक्की को हराया, बल्कि सचमुच में "उसके दाँत खट्टे कर दिए"!
उस दिन से लुक्की ने घमंड करना छोड़ दिया और जंगल के जानवरों को परेशान करना बंद कर दिया। गप्पी खरगोश जंगल का हीरो बन गया, जिसने यह सिद्ध कर दिया कि छोटा होना कभी भी कमज़ोर होना नहीं होता।
सीख (Moral of the Story)
यह कहानी हमें सिखाती है कि चतुराई और बुद्धि हमेशा ताकत और घमंड से बड़ी होती है। अपनी ताक़त पर घमंड करना मूर्खता है, लेकिन सही समय पर दिमाग का इस्तेमाल करना ही असली जीत है। जब कोई अपनी बुद्धि से बड़े प्रतिद्वंद्वी को हरा देता है, तो हम कहते हैं कि उसने उसके दाँत खट्टे कर दिए।
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