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यह बेस्ट हिंदी जंगल स्टोरी कबूतर चाँदनी और तोते मीतू की दोस्ती की है। मीतू की चंचलता उसे जाल में फँसाती है, लेकिन चाँदनी और दोस्तों की मदद से वह बच जाता है। बाद में दोनों मिलकर शिकारी को भगाते हैं और एकता का सबक सीखते हैं। यह कहानी दोस्ती और समझ का प्रतीक है।
कबूतर और तोते की मित्रता: एक प्यारी हिंदी कहानी
एक सवेरे की धूप में, जहाँ हवा में चंदन की महक तैर रही थी, एक घने जंगल के किनारे एक पुराना पीपल का पेड़ खड़ा था। उसकी शाखों पर दो छोटे-छोटे मेहमान रहते थे—एक कबूतर, जिसका नाम था चाँदनी, और एक तोता, जिसे लोग मीतू कहकर बुलाते थे। चाँदनी का रंग धूप की तरह चमकीला था, और उसकी आँखों में शांति झिलमिलाती थी। मीतू, हरे रंग का चटकीला तोता, अपनी चंचलता और रंग-बिरंगी बातों से जंगल को जीवंत बनाता था। दोनों की दोस्ती पुरानी थी।
एक दिन, जब सूरज की किरणें पेड़ की पत्तियों के बीच से झाँक रही थीं, चाँदनी ने मीतू से कहा, "भाई मीतू, आज मैंने एक नई जगह देखी है—नदी के पास एक खेत, जहाँ अनाज के दाने बिखरे पड़े हैं। क्या हम वहाँ चलें?" मीतू ने उछलते हुए जवाब दिया, "वाह, चाँदनी! ये तो मज़ेदार लगता है। चलो, आज का दिन खाने-खिलाने में बिताएँ!" दोनों ने पंख फड़फड़ाए और नदी की ओर उड़ चले।
खेत पहुँचकर चाँदनी ने सावधानी से चारों ओर नजर डाली। उसने कहा, "मीतू, यहाँ बहुत सारे दाने हैं, लेकिन कहीं कोई इंसान न दिख जाए।" मीतू हँसते हुए बोला, "अरे, चिंता मत कर! मैं तो ऊपर से पहरा दूँगा, और तू नीचे दाने चुन।" दोनों ने मिलकर काम शुरू किया। चाँदनी धीरे-धीरे दाने चुग रही थी, और मीतू ऊँचे से हर तरफ नजर रख रहा था। लेकिन मीतू की चंचलता उसे परेशानी में डालने वाली थी।
कुछ देर बाद मीतू ने देखा कि खेत के किनारे एक रहस्यमई फूल लहरा रहा है, किसी शिकारी ने पक्षियों को फंसाने के लिए फूल के रूप में ऑटोमाटिक इलेक्ट्रॉनिक जाल बिछा रखा था। लेकिन मीतू समझ नही पाया उसने सोचा, "वाह, ये फूल तो मेरे लिए सजा है!" वह दाने भूलकर फूल की ओर उड़ गया। चाँदनी ने चिल्लाकर कहा, "मीतू, रुक जा! ये खतरनाक हो सकता है!" लेकिन मीतू ने सुनी नहीं। वह फूल के पास पहुँचा और उसे चोंच से छुआ, तो अचानक एक जाल फंदा बन गया और मीतू उसमें फँस गया। वह घबराकर चीखा, "चाँदनी, बचाओ!"
चाँदनी का दिल धड़क उठा। वह तुरंत मीतू के पास पहुँची और कहा, "शांत हो जा, मैं कुछ करती हूँ।" उसने जाल की रस्सियों को चोंच से काटने की कोशिश की, लेकिन वे बहुत मजबूत थे। तभी पास के एक पेड़ से एक बुलबुल उड़कर आई। उसने कहा, "चाँदनी, मैं मदद करूँगी। मेरी चोंच तेज है।" दोनों ने मिलकर जाल को तोड़ा, और मीतू आजाद हो गया। मीतू ने शर्मिंदा होकर कहा, "चाँदनी, मैंने तेरी बात नहीं मानी। माफ कर दे।" चाँदनी ने मुस्कुराते हुए कहा, "दोस्ती में गलती हो सकती है, लेकिन एक-दूसरे का साथ न छोड़ना चाहिए।"
मीतू ने सबक सीखा और वादा किया, "अब से तेरी सलाह मानूँगा।" लेकिन कहानी यहाँ खत्म नहीं हुई। अगले दिन, जब वे फिर से खेत में थे, एक नई मुसीबत आई। एक शिकारी ने जाल बिछाया और चुपके से छिप गया। चाँदनी ने सतर्कता से कहा, "मीतू, कुछ अजीब सा लग रहा है। हमें सावधान रहना चाहिए।" मीतू ने गौर से देखा और बोला, "हाँ, वहाँ एक छाया हिल रही है। शायद कोई हमें फँसाना चाहता है।"
दोनों ने मिलकर एक योजना बनाई। चाँदनी ऊपर से शोर मचाने लगी, और मीतू ने जंगल के दूसरे पक्षियों को इकट्ठा किया। बुलबुल, कौआ और मैना भी आ गए। सबने मिलकर शिकारी के ऊपर उड़ते हुए चीखना शुरू किया। शिकारी घबरा गया और अपना जाल उठाकर भाग गया। चाँदनी ने कहा, "देखा, मीतू, एकता में ताकत होती है।" मीतू ने खुशी से जवाब दिया, "हाँ, भाई! आज हमने सबकुछ सीख लिया।"
शाम को, जब सूरज ढल रहा था, दोनों पीपल के पेड़ पर लौटे। चाँदनी ने कहा, "मीतू, आज हमने दोस्ती, सावधानी और एकता का पाठ पढ़ा।" मीतू ने हँसते हुए कहा, "और मैंने अपनी चंचलता पर काबू पाना भी सीखा।" जंगल में हवा के साथ उनकी हँसी गूँज उठी।
कुछ दिन बाद, खेत में एक बच्चा आया, जिसने दाने बिखेरकर पक्षियों को बुलाया। चाँदनी और मीतू ने सावधानी से देखा और फिर भरोसा करके दाने खाने गए। बच्चे ने उन्हें देखकर मुस्कुराया और कहा, "आओ, दोस्तों!" मीतू ने चाँदनी से कहा, "लगता है, यहाँ भी दोस्ती हो सकती है।" चाँदनी ने सहमति में सिर हिलाया, और दोनों ने बच्चे के साथ एक नई मित्रता शुरू की।
इस तरह, कबूतर और तोते की यह कहानी जंगल में फैल गई। छोटे-छोटे बच्चे इस कहानी को सुनते और एक-दूसरे से कहते, "दोस्ती में सावधानी और एकता जरूरी है।" पीपल के पेड़ पर अब हर शाम पक्षियों का जमघट लगता, और चाँदनी-मीतू की कहानी जंगल की हर शाख पर गूँजती रही।
सीख
यह जंगल स्टोरी बच्चों को सिखाती है कि सावधानी और एकता दोस्ती को मज़बूत बनाती है। दूसरों की सलाह मानने और मिलकर मुसीबतों का सामना करने से हर चुनौती को जीता जा सकता है।
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