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हम अक्सर सुनते हैं कि "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती," लेकिन बच्चे अक्सर पूछते हैं कि "आखिर कब तक कोशिश करें?" यह कहानी इसी सवाल का जवाब है। यह कहानी जंगल की नहीं, बल्कि हमारे घर के पिछवाड़े रहने वाली एक जिद्दी और प्यारी गिलहरी 'चिकी' की है। यह कहानी सिखाती है कि सिर्फ बार-बार एक ही गलती दोहराना प्रयास नहीं है, बल्कि अपनी गलती सुधार कर दोबारा कोशिश करना ही असली सफलता है।
चिकी की छलांग और रसीला अमरूद (मुख्य कहानी)
बागीचे के कोने में एक बहुत पुराना और ऊंचा अमरूद का पेड़ था। उस पेड़ पर चिकी नाम की एक नन्ही गिलहरी अपने परिवार के साथ रहती थी। चिकी बहुत फुर्तीली थी, लेकिन अभी उसे लंबी छलांग लगाने का तजुर्बा कम था।
पेड़ की सबसे ऊंची डाली पर, जहां इंसानों का हाथ नहीं पहुंच सकता था, वहां एक बहुत बड़ा, पीला और रसीला अमरूद लगा था। चिकी कई दिनों से उस अमरूद को देख रही थी। उसके मुंह में पानी आ जाता था।
पहली कोशिश और धड़ाम!
एक सुबह चिकी ने फैसला किया, "आज तो मैं वो अमरूद खाकर ही रहूंगी।" उसने नीचे की डाल से ऊपर देखा। दूरी थोड़ी ज्यादा थी। चिकी ने बिना ज्यादा सोचे-समझे पूरी ताकत लगाकर छलांग लगा दी।
लेकिन, अफसोस! उसका अंदाज़ा गलत निकला। वह अमरूद वाली डाल तक पहुंच ही नहीं पाई और हवा में हाथ-पैर मारती हुई नीचे झाड़ियों में जा गिरी। "धम!" उसे चोट तो नहीं लगी, क्योंकि झाड़ियां घनी थीं, लेकिन उसका घमंड चूर-चूर हो गया। बाकी गिलहरियां उसे देखकर खी-खी करने लगीं।
गुस्सा नहीं, तर्क (Logic) जरूरी है
चिकी गुस्से में वापस पेड़ पर चढ़ी। वह फिर से उसी डाल पर गई और बोली, "इस बार मैं और जोर से कूदूँगी।" तभी वहां उसके दादाजी आ गए। उन्होंने चिकी को रोका और समझाया, "बेटा, प्रयास करना ना छोड़ें, यह अच्छी बात है। लेकिन अगर तुम उसी तरीके से बार-बार कूदोगी जिससे तुम गिरी थी, तो नतीजा भी वही होगा।"
दादाजी ने लॉजिक (तर्क) समझाया: "पिछली बार तुम्हारे पंजे गंदे थे, इसलिए फिसलन थी और तुमने दौड़ने के लिए पीछे से रफ़्तार (Momentum) नहीं ली थी।"
सही तैयारी और आखिरी उड़ान
चिकी को बात समझ आ गई। उसे लगा कि वह सिर्फ जोश में थी, होश में नहीं। इस बार उसने:
पहले अपने पंजों को पेड़ की छाल पर रगड़कर साफ़ किया ताकि पकड़ (Grip) मजबूत बने।
वह डाल पर थोड़ा पीछे गई ताकि दौड़कर रफ़्तार बना सके।
उसने हवा की दिशा देखी और लक्ष्य पर नज़र टिकाई।
जीत का मीठा स्वाद
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चिकी ने गहरी सांस ली, और पूरी रफ़्तार से दौड़ी। जैसे ही वह डाल के किनारे पर पहुंची, उसने अपने पिछले पैरों से ज़ोरदार धक्का दिया। इस बार वह एक रॉकेट की तरह हवा में उड़ी। उसका निशाना एकदम सटीक था। उसके पंजे अमरूद वाली डाल पर मजबूती से जम गए।
उसने अमरूद को तोड़ा और मजे से खाया। वह अमरूद उसे दुनिया का सबसे मीठा फल लगा, क्योंकि उसमें उसकी मेहनत का स्वाद भी मिला हुआ था।
बार-बार प्रयास करने और हार न मानने के गुण को मनोविज्ञान में "दृढ़ता" (Persistence) या "लचीलापन" (Resilience) कहा जाता है। थॉमस एडिसन जैसे वैज्ञानिकों ने भी बल्ब बनाने से पहले हजारों बार प्रयास किया था।
अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें:
दृढ़ता (मनोविज्ञान) - विकिपीडिया
कहानी से सीख (Moral of the Story)
"असफलता का मतलब अंत नहीं होता, बल्कि यह सीखने का मौका होता है कि अगली बार कोशिश और बेहतर कैसे की जाए।"
निष्कर्ष: चिकी की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि प्रयास करना ना छोड़ें, लेकिन हर बार अपनी गलती से सीखकर तरीका बदलें। अगर आप गिरते हैं, तो धूल झाड़िये, वजह जानिए और फिर से छलांग लगाइए। मंजिल आपका इंतज़ार कर रही है।
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