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बच्चों की जंगल कहानी: समझदार खरगोश और लालची लोमड़ी

एक लालची लोमड़ी कैसे एक छोटे से खरगोश की बुद्धिमानी के आगे हार जाती है? जानिए कैसे चालाकी और समझदारी से हर मुश्किल को जीता जा सकता है। बच्चों के लिए यह Jungle Story पढ़ें।

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बुद्धिमानी की असली शक्ति

प्यारे बच्चों, क्या आपने कभी सोचा है कि बड़े और ताकतवर होने से ज्यादा महत्वपूर्ण क्या है? अक्सर, हम सोचते हैं कि जो सबसे बड़ा या सबसे शक्तिशाली होता है, वही जीतता है। लेकिन प्रकृति हमें सिखाती है कि सच्ची शक्ति बुद्धि और समझदारी में होती है। एक छोटा सा दिमाग भी बड़े से बड़े दुश्मन को मात दे सकता है, अगर उसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए।

आज हम एक ऐसी ही मजेदार और ज्ञानवर्धक कहानी पढ़ेंगे, जिसका नाम है "समझदार खरगोश और लालची लोमड़ी: बुद्धिमानी से जीत"। यह कहानी हमें सिखाएगी कि कैसे एक छोटा सा खरगोश अपनी अक्ल से एक बड़ी और चालाक लोमड़ी को हरा देता है। यह सिर्फ एक जंगल की कहानी नहीं, बल्कि जीवन की एक बड़ी सीख है कि हर मुश्किल में हमें घबराना नहीं चाहिए, बल्कि अपनी बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए।


जंगल में एक लालची लोमड़ी और उसका शिकार

एक हरे-भरे जंगल में, जिसका नाम 'शामलावन' था, वहाँ बहुत से जानवर रहते थे। इसी जंगल में एक बहुत ही चालाक और लालची लोमड़ी रहती थी, जिसका नाम 'धूर्तिका' था। धूर्तिका हमेशा छोटे और कमजोर जानवरों को परेशान करती थी और अपनी चालाकी से उन्हें फंसाकर खा जाती थी। जंगल के सभी जानवर उससे डरते थे।

उसी जंगल में एक छोटा, फुर्तीला और समझदार खरगोश भी रहता था, जिसका नाम 'बुद्धिमल' था। बुद्धिमल बहुत शांत स्वभाव का था, लेकिन उसकी आँखें हमेशा चौकन्नी रहती थीं और उसका दिमाग बहुत तेज़ चलता था। वह जानता था कि धूर्तिका लोमड़ी से कैसे बचा जाए।

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एक दिन, धूर्तिका को बहुत भूख लगी थी। वह शिकार की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। तभी उसकी नज़र बुद्धिमल पर पड़ी, जो घास चर रहा था। "आज तो मेरा पेट भर जाएगा," धूर्तिका ने मन ही मन सोचा और चुपके से बुद्धिमल की ओर बढ़ने लगी।

जैसे ही धूर्तिका बुद्धिमल के पास पहुँची, वह झपटने ही वाली थी कि बुद्धिमल ने उसे देख लिया।

"कौन है वहाँ?" बुद्धिमल ने जानबूझकर जोर से पूछा।

धूर्तिका ने बाहर आकर एक क्रूर मुस्कान के साथ कहा, "मैं हूँ, तुम्हारी दोस्त धूर्तिका। आज तो तुम मेरे शिकार बनोगे, छोटे खरगोश!"


बुद्धिमल की अनोखी चाल

बुद्धिमल जानता था कि अगर वह भागने की कोशिश करेगा, तो धूर्तिका उसे आसानी से पकड़ लेगी। वह भीगेगा नहीं। उसने एक गहरी साँस ली और शांत होकर बोला, "अरे धूर्तिका रानी, आप मुझ जैसे छोटे से खरगोश को खाकर क्या करेंगी? आपका तो पेट भी नहीं भरेगा। मैं तो बहुत छोटा हूँ।"

धूर्तिका ने कहा, "पेट भरे न भरे, मुझे तो तुम पर अपनी ताकत दिखानी है।"

"ठीक है, आप मुझे खा सकती हैं," बुद्धिमल ने कहा, "लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आ रही।"

धूर्तिका ने हैरानी से पूछा, "क्या बात समझ नहीं आ रही?"

बुद्धिमल ने कहा, "मैंने सुना है कि जंगल की सबसे चालाक लोमड़ी, धूर्तिका रानी, अब बूढ़ी हो गई है और उसकी आँखें कमजोर हो गई हैं। वह ठीक से देख नहीं पाती। मुझे तो लगा कि यह सब झूठ होगा, पर अब जब आपने मुझे देखा और मैं सामने खड़ा हूँ, तो भी आप झपटने से डर रही हैं। क्या ये सब सच है?"

धूर्तिका को गुस्सा आ गया। "क्या बकवास कर रहे हो? मैं बूढ़ी नहीं हुई हूँ और मेरी आँखें बिल्कुल ठीक हैं। मैं तो बस तुम्हें थोड़ा और परेशान करना चाहती थी।"

बुद्धिमल ने सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं-नहीं, मुझे विश्वास नहीं हो रहा। अगर आपकी आँखें ठीक हैं, तो आप इस पेड़ पर लगे मीठे-मीठे फल क्यों नहीं देख पा रही हैं? मैंने तो सुना है कि आप उन्हें खाकर और भी ताकतवर बन जाती हैं।"

धूर्तिका ने पेड़ की ओर देखा। "कौन से फल?"

लालच का जाल और बुद्धिमानी की जीत

बुद्धिमल ने सामने एक बहुत ऊँचे पेड़ की ओर इशारा किया और बोला, "वहाँ ऊपर देखो, उन सबसे ऊँची डाली पर। वह बहुत ही रसीला और स्वादिष्ट फल है, जो सिर्फ भाग्यशाली लोमड़ी को ही मिलता है। मैंने सुना है कि उसे खाने के बाद कोई भी लोमड़ी कभी बूढ़ी नहीं होती।"

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धूर्तिका की आँखों में लालच आ गया। 'अगर मैं वह फल खा लूँगी, तो मैं हमेशा जवान रहूँगी और कभी बूढ़ी नहीं होऊँगी,' उसने सोचा। वह तुरंत पेड़ पर चढ़ने लगी। लेकिन लोमड़ी पेड़ पर चढ़ने में बहुत अच्छी नहीं होती। वह बार-बार फिसलती, गिरती और खुद को चोट पहुँचाती।

बुद्धिमल नीचे खड़ा मुस्कुरा रहा था। वह जानता था कि पेड़ पर कोई फल नहीं है। यह सिर्फ धूर्तिका को फंसाने की उसकी चाल थी।

धूर्तिका बहुत मेहनत करने के बाद किसी तरह पेड़ पर थोड़ी ऊँचाई तक पहुँची। वह हाँफ रही थी। "कहाँ है वह फल, खरगोश?" उसने गुस्से से पूछा।

बुद्धिमल ने नीचे से जोर से हँसते हुए कहा, "अरे धूर्तिका रानी, वह फल तो मेरी कहानियों में था! असल में तो वह सिर्फ मेरी बुद्धिमानी थी, जिसने आपको उस पेड़ पर चढ़ा दिया।"

धूर्तिका को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह समझ गई कि खरगोश ने उसे मूर्ख बना दिया है। शर्मिंदा होकर वह पेड़ से नीचे उतरने लगी। इस बीच बुद्धिमल को भागने का मौका मिल गया। वह फुर्ती से अपनी मांद की ओर दौड़ गया।

धूर्तिका बहुत गुस्से में थी, लेकिन उसे अपनी मूर्खता और लालच पर भी बहुत शर्मिंदगी हुई। उस दिन से उसने समझा कि सिर्फ ताकत और चालाकी से सब कुछ नहीं जीता जा सकता। बुद्धिमानी और समझदारी सबसे बड़ी शक्ति होती है।

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सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बुद्धिमानी और समझदारी ताकत से कहीं अधिक शक्तिशाली होती है। हमें कभी भी अपनी ताकत या दूसरों की कमजोरी पर घमंड नहीं करना चाहिए। मुश्किल समय में घबराने के बजाय, शांत रहकर अपनी बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए। धैर्य और सूझबूझ से हम बड़े से बड़े दुश्मन या चुनौती पर भी बुद्धिमानी से जीत हासिल कर सकते हैं।

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