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शेर का चतुर साथी – जंगल की मजेदार कहानी- जंगल की कहानियाँ बच्चों के लिए हमेशा रोमांच और सीख से भरी होती हैं। शेर को जंगल का राजा माना जाता है, लेकिन हर बार ताक़त से ही सब कुछ हासिल नहीं होता। कभी-कभी चतुराई और समझदारी भी उतनी ही ज़रूरी होती है। यही संदेश हमें मिलती है कहानी “शेर के चतुर साथी” से। यह कहानी बच्चों को मजेदार ढंग से बताती है कि बुद्धिमानी से काम लेने पर बड़ी से बड़ी मुश्किल आसान हो जाती है।
इस कहानी में शेर के साथ उसका एक चतुर साथी रहता है। दोनों की दोस्ती गहरी थी, पर जब जंगल में संकट आया, तब इस साथी ने अपनी चतुराई से न सिर्फ शेर को बचाया बल्कि पूरे जंगल को भी सुरक्षित कर दिया। आइए, पढ़ते हैं यह लंबी और दिलचस्प जंगल कहानी।
शेर का चतुर साथी
बहुत समय पहले, घने जंगल में एक ताक़तवर शेर रहता था। वह जंगल का राजा था। उसके गर्जन से पूरा जंगल गूँज उठता था। सभी जानवर उससे डरते थे, लेकिन शेर का दिल दयालु भी था। वह बिना कारण किसी को परेशान नहीं करता था।
शेर का एक खास साथी था – लोमड़ी। लोमड़ी भले ही ताक़तवर नहीं थी, लेकिन उसकी बुद्धि और चालाकी पूरे जंगल में मशहूर थी। शेर और लोमड़ी की जोड़ी हर जगह प्रसिद्ध थी। जहाँ शेर ताक़त से काम करता, वहाँ लोमड़ी अपनी समझदारी से मदद करती।
पहला मोड़ – जंगल का संकट
एक साल जंगल में भयंकर सूखा पड़ा। नदियाँ सूख गईं, तालाब खाली हो गए। पानी और खाना दोनों की कमी हो गई। सभी जानवर परेशान हो उठे।
एक दिन भूखे भेड़ियों का एक झुंड जंगल में आया। वे बहुत ताक़तवर थे और कमजोर जानवरों पर हमला करने लगे। उन्होंने ऐलान किया कि अब यह जंगल उनका होगा।
शेर गुस्से में दहाड़ा – “यह जंगल मेरा है। मैं यहाँ का राजा हूँ। तुम्हें यहाँ रहने की अनुमति नहीं।”
भेड़िए हँस पड़े – “राजा वही होता है, जो ताक़तवर हो। अगर तुममें दम है तो हमें रोककर दिखाओ।”
शेर अकेला था और भेड़िए बहुत। वह सीधा युद्ध करना चाहता था, लेकिन लोमड़ी ने तुरंत शेर से कहा – “राजा जी, धैर्य रखिए। ताक़त ज़रूरी है, लेकिन संख्या में आपसे अधिक दुश्मनों को हराने के लिए बुद्धि की भी आवश्यकता होती है।”
लोमड़ी की योजना
लोमड़ी ने भेड़ियों की आदतें देखीं। वे लालची थे और हमेशा जल्दी खाना चाहते थे। उसने शेर से कहा –
“राजा जी, हमें उन्हें उनकी ही चाल में फँसाना होगा। आप लड़ाई की तैयारी कीजिए, पर हमला मत कीजिए। बाकी मैं संभाल लूँगी।”
अगले दिन लोमड़ी भेड़ियों के पास गई और बोली –
“आप लोग जंगल में क्यों परेशान हो रहे हैं? राजा शेर रोज़ शिकार करता है और आपको भी हिस्सा देने को तैयार है। लेकिन एक शर्त है – आपको राजा की आज्ञा माननी होगी।”
भेड़िए आपस में खुश होकर बोले – “वाह! हमें बिना मेहनत खाना मिलेगा। यह शर्त हमें मंजूर है।”
चाल में फँसे भेड़िए
अब रोज़ शेर एक छोटा शिकार करता और भेड़ियों को उसका हिस्सा दे दिया जाता। भेड़िए आराम से खाने लगे और आलसी हो गए। कुछ ही हफ़्तों में उनकी ताक़त घटने लगी।
तभी लोमड़ी ने असली योजना बनाई। एक दिन उसने भेड़ियों को बताया –
“आज राजा शेर ने सबसे बड़ा शिकार किया है। लेकिन उस शिकार को उठाने के लिए आपको जंगल के उस पार जाना होगा।”
भेड़िए उत्साहित होकर वहाँ गए। पर जैसे ही वे पहुँचे, शेर और जंगल के अन्य जानवरों ने मिलकर उन्हें घेर लिया। कमजोर हो चुके भेड़िए हार मान गए और जंगल छोड़कर भाग खड़े हुए।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
ताक़त और बुद्धि का मेल ज़रूरी है। अकेली ताक़त हमेशा जीत नहीं दिला सकती।
समझदारी से काम लेना चाहिए। कठिन परिस्थिति में शांत दिमाग़ से लिया गया निर्णय हमेशा बेहतर होता है।
सच्ची दोस्ती मुश्किल में परखी जाती है। जैसे लोमड़ी ने शेर को संकट से बाहर निकाला।
लालच हमेशा नुकसान पहुँचाता है। भेड़ियों की लालच ने उनकी हार सुनिश्चित की।