शेरसिंह का जंगल: ईमानदारी की जीत

शेरसिंह के जंगल में एक अनोखी best hindi story! ईमानदारी और लालच के बीच की जंग को दर्शाती यह हिंदी कहानी बच्चों और बड़ों दोनों के लिए प्रेरणादायक है। पढ़ें और सीखें!

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शेरसिंह का जंगल: ईमानदारी की जीत: एक सुबह जंगल के राजा शेरसिंह ने एक बड़ी सभा बुलाई। सूरज की पहली किरणों के साथ ही जंगल के हर कोने से हिरण, खरगोश, बंदर, सियार और अन्य जानवर सभा स्थल पर जमा हो गए। शेरसिंह ने एक विशाल चट्टान पर शान से विराजमान होकर सभी को संबोधित किया। उसकी गहरी आवाज जंगल में गूंज उठी, "मेरे प्रिय जंगलवासियों, मैंने देखा है कि बीमारी ने हमारे कई साथियों को परेशान कर रखा है। हमें अपने जंगल में एक अस्पताल बनाना चाहिए ताकि सभी का इलाज हो सके। आप सबकी राय क्या है?"

हाथी, जो सभा में सबसे समझदार माना जाता था, आगे बढ़ा और पूछा, "महाराज, यह तो बहुत अच्छा विचार है, लेकिन अस्पताल के लिए पैसे कहां से आएंगे? और डॉक्टर भी तो चाहिए होंगे!" शेरसिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "चिंता मत करो, दोस्त! हम सब मिलकर पैसे जुटाएंगे। हर जानवर अपनी क्षमता के अनुसार योगदान देगा।"

इतने में टीकम बंदर, जो हमेशा शरारती लेकिन होशियार था, उछलकर बोला, "महाराज, मेरे पास एक शानदार आइडिया है! राजवन में मेरे दो दोस्त डॉक्टर हैं। मैं उन्हें यहां बुला लाता हूँ।" उसकी बात सुनकर सभी जानवरों में खुशी की लहर दौड़ गई। "वाह टीकम, तुमने तो कमाल कर दिया!" चींटी ने चहकते हुए कहा।

अगले दिन से ही चीनी बिल्ली और सोनू सियार ने पैसे इकट्ठा करने का जिम्मा संभाल लिया। वे जंगल के हर पेड़-पौधे के नीचे जाकर योगदान मांगने लगे। हिरण ने अपनी घास की आय का हिस्सा दिया, तो मोर ने अपने पंखों की सुंदरता से दूसरों को प्रेरित किया। कुछ हफ्तों की मेहनत के बाद जंगल में एक छोटा सा लेकिन सुंदर अस्पताल बनकर तैयार हो गया। टीकम के डॉक्टर दोस्त, डॉ. मंगल और डॉ. चंदन, मरीजों का इलाज करने लगे। मरीज ठीक होकर उन्हें दुआएं देते और कहते, "धन्यवाद डॉक्टर साहब, आपने हमारी जान बचाई!"

कुछ महीनों तक सब कुछ शांति से चलता रहा। अस्पताल जंगल की शान बन गया। लेकिन एक दिन टॉमी खरगोश, जो अस्पताल में सहायक था, के मन में लालच का कीड़ा कुलबुलाने लगा। उसने अपने भाई बबलू खरगोश को बुलाया और फुसफुसाया, "भाई, अगर हम अस्पताल की दवाइयां पास के जंगल में बेच दें, तो हम दोनों मालामाल हो जाएंगे!" बबलू ने नाक भौंह चढ़ाई और कहा, "अरे टॉमी, यह गलत है! हम ईमानदारी से काम करें, वरना शेरसिंह महाराज हमें माफ नहीं करेंगे।" लेकिन टॉमी का लालच बढ़ता ही जा रहा था।

टॉमी ने पहले तो ईमानदारी का नाटक किया, लेकिन धीरे-धीरे वह जंगल के मरीजों की बजाय पास के जंगल के जानवरों को दवाइयां देने लगा। वह सोचता, "इनसे ज्यादा पैसे मिलते हैं, क्यों न इन्हें प्राथमिकता दूं?" यह बात जंगल में फैलने लगी। एक दिन हिरण और सियार ने मिलकर शेरसिंह के पास शिकायत की, "महाराज, टॉमी दवाइयां चुराकर बेच रहा है। हमारे मरीजों को दिक्कत हो रही है!" शेरसिंह ने गंभीरता से कहा, "मैं खुद जांच करूंगा। बिना सबूत के कोई फैसला नहीं होगा।"

शेरसिंह ने इस काम के लिए चतुर लोमड़ी लीला को चुना। लीला ने कहा, "महाराज, मैं टॉमी की हरकतों पर नजर रखूंगी।" अगले दिन से लीला ने टॉमी की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू की। टॉमी को उसकी भनक तक नहीं लगी। कुछ दिनों बाद लीला ने एक योजना बनाई। वह टॉमी के कमरे में गई और बोली, "मैं पास के जंगल से आई हूँ। वहां का राजा बहुत बीमार है। अगर तुम्हारी दवाइयों से वह ठीक हो गया, तो तुम्हें ढेर सारा सोना मिलेगा!"

टॉमी की आंखों में चमक आ गई। वह बोला, "अच्छा, तो चलो जल्दी से सामान पैक करते हैं!" लीला ने चुपके से शेरसिंह को खबर दी, जो पहले से पास के जंगल में छिपे थे। जैसे ही टॉमी और लीला वहां पहुंचे, शेरसिंह ने दहाड़ते हुए कहा, "रुको टॉमी, तुम्हारा खेल खत्म हुआ!" टॉमी कांपने लगा और गिड़गिड़ाया, "महाराज, माफ कर दो, मैंने गलती कर दी!"

शेरसिंह ने गुस्से में आदेश दिया, "तुम्हारी सारी कमाई अस्पताल में जमा होगी और तुम्हें जंगल से निकाल दिया जाएगा!" सभी जानवरों ने राहत की सांस ली और कहा, "सच में, ईमानदारी ही सच्ची जीत है।" बबलू ने टॉमी को देखकर कहा, "भाई, मैंने कहा था न, लालच से बचो!"

इस घटना के बाद जंगल में एक नई शुरुआत हुई। शेरसिंह ने लीला को अस्पताल का प्रबंधक बनाया, ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो। डॉ. मंगल और डॉ. चंदन ने जंगल के हर कोने में जाकर मरीजों की जांच शुरू की। एक दिन एक छोटा सा गिलहरी, जो बीमार था, अस्पताल पहुंचा। उसने कहा, "मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है, फिर भी क्या आप मेरा इलाज करेंगे?" डॉ. चंदन ने मुस्कुराकर कहा, "बेटा, यह अस्पताल सबके लिए है। पैसे से बड़ा है हमारा कर्तव्य!"

धीरे-धीरे जंगल का अस्पताल प्रसिद्ध हो गया। पास के जंगलों से भी जानवर इलाज के लिए आने लगे। शेरसिंह ने हर साल एक "ईमानदारी दिवस" मनाने का फैसला किया, जिसमें सभी जानवर आपस में अच्छे कामों की कहानियां साझा करते। टॉमी का किस्सा सबके लिए एक सबक बन गया।

सीख:

इस जंगल की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी ही जीवन का सबसे बड़ा धन है। लालच हमें गलत रास्ते पर ले जा सकता है, लेकिन सच्चाई और मेहनत से ही सच्ची खुशी और सम्मान मिलता है। बच्चों के लिए यह प्रेरक हिंदी कहानी एक अनमोल सबक है।

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