जंगल कहानी : झमकू लोमड़ को मिला सबक जंगल की कहानी (Jungle Story) : झमकू लोमड़ को मिला सबक :- नीरूवन के सभी जानवर झमकू लोमड़ से बहुत परेशान थे उनकी परेशानी का कारण था झमकू की शैतानियाँ। By Lotpot 10 Oct 2023 | Updated On 12 Oct 2023 17:43 IST in Jungle Stories Moral Stories New Update जंगल कहानी (Jungle Story) : झमकू लोमड़ को मिला सबक :- नीरूवन के सभी जानवर झमकू लोमड़ से बहुत परेशान थे उनकी परेशानी का कारण था झमकू की शैतानियाँ। झमकू को भोले-भाले और कमजोर जानवरों-पक्षियों को सताने उनके साथ बुरा सलूक करने में बड़ा आंनद आता था। पिकी कोयल रामी तोता पीलू बया किट्टू कौआ और भी न जाने कितने पक्षियों को उसने सताया था। झमकू जब भी किसी का घोंसला पेड़ पर देखता उस पर पत्थर फेंककर नष्ट कर देता था अनुनय विनय का उस पर कोई असर ही नहीं होता उल्टे खुशी होती थी। उसे। अनेक बुजुर्ग जानवरों ने झमकू लोमड़ को समझाया कि किसी का घोंसला तोड़ देना बिना बात सताना कोई अच्छी बात नहीं है पर झमकू लोमड़ पर समझाने बुझाने का असर तो होता ही कहाँ था उल्टे दिन ब दिन उसकी कारस्तानियाँ तो बढ़ती चली गई। झमकू ने निरंकुश होने का एक कारण यह भी था कि उसके पिता भी शेर के दरबार में दरबान थे इस वजह से भी कुछ जानवर तो उससे डरते थे और उसकी ज्यादतियों को चुपचाप सह लेतेे थे। एक दिन की बात है पिंकी कोयल ने घोंसले में अपने अंडों को न रखकर उन्हें किट्टू कौए के यहाँ रख दिए थे कोयल अपने बच्चे ऐसे ही रखती है झमकू को पता चल गया कि पिंकी ने ऐसा किया है कि वह तो कब से पिंकी के उस अपमान का बदला लेने को तरस रहा था जब सरे आम पिंकी ने उसे नीरूवन का अलेक कहा था और उसे बुरा-भला कहा था। कहो पिंकी रानी कहाँ से आ रही हो? पिंकी से झमकू ने पूछा। यू ही जरा मिलने गई थी किट्टू से उसकी तबियत खराब है ना इसलिए। अंडे रखने वाली बात छुपाते हुए पिंकी ने उत्तर दिया। अच्छा! समझा फिर तो तुम्हें किट्टू कौए का घोंसला तोड़ने से दुख तो नहीं होगा ना। झमकू कुटिल स्वर में बोला और फिर एक बड़ा सा पत्थर किट्टू कौए के घोंसले की तरफ फेंका पर पत्थर घोंसले को लगा नहीं वहीं पास ही डाल मे अटक गया। नहीं... नहीं झमकू नहीं किट्टू के घोंसले को मत तोड़ो... तुम यह ठीक नहीं कर रहे हो पिंकी ने विनती भरे शब्दों मे कहा। क्यों? क्यों न तोडू तुम्हारे अंडे तो न गिर पडेगे? कुटिलता से झमकू बोला और एक बड़े से पत्थर से निशाना साधने लगा। नहीं उसमें मेरे अंडे भी है तुम उन्हें मत फोड़ों। मैं तुमसे दया की भीख मांगती हूँ प्लीज। पिंकी ने फिर याचना भरे स्वर में झमकू से कहा पर झमकू ने सुनी अनसुनी कर दी मैं अभी समाप्त कर देता हूँ सारा किस्सा। कहकर झमकू फिर से निशाना साधने लगा पिंकी असहाय बस देख रही थी तभी अचानक उसकी नजरें घोंसले के पास पत्तों-डालियों के बीच में अटके उस बड़े से पत्थर पर पड़ी जो झमकू ने कुछ देर पहले फेंका था। पिंकी ने देखा कि झमकू ठीक पत्थर के नीचे सीध में खड़ा दूसरा पत्थर फेकंने की तैयारी में खड़ा था। यही सुनहरा मौका है। पिंकी ने ताड़ लिया उसने चुपके से डाल के पत्तों को हिलाया-डाल के हिलते ही फंसा हुआ पत्थर निकल गया और सीधा झमकू के सिर पर जाकर गिरा। हाय मैं मर गया। आह... बचाओ अह... पत्थर के गिरते ही झमकू दर्द से बिल-बिलाने लगा और लंगड़ाते हुए वहाँ से चल दिया पिंकी मुस्कुरा दी झमकू कई दिन अस्पताल में रहा पर ठीक होने के बाद उसने शैतानी और सताना छोड़ दिया नीरूवन के सभी वासी झमकू में आए इस बदलाव से बेहद खुश थे।और पढ़ें : Jungle Story : गोरे काले का भेदभाव लोटपोट Jungle Story : अपनेपन की छाँव Jungle Story : रानू का जन्मदिन Like us : Facebook Page You May Also like Read the Next Article