जंगल कहानी : मारे डर के हुआ बुरा हाल

खिल्लू खरगोश शुरू से ही पढ़ाकू रहा है। उसके बारे में सबका विश्वास है कि होनहार खिल्लू अवश्य ही उनके जंगल का नाम रोशन करेगा। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने नज़दीकी शहर वाले काॅलेज में दाखिला ले लिया। उसकी इच्छा थी कि वह पढ़ लिखकर वैज्ञानिक बने।

By Lotpot
New Update
lotpot Hindi Jungle Story

जंगल कहानी (Hindi Jungle Story): मारे डर के हुआ बुरा हाल - खिल्लू खरगोश शुरू से ही पढ़ाकू रहा है। उसके बारे में सबका विश्वास है कि होनहार खिल्लू अवश्य ही उनके जंगल का नाम रोशन करेगा। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने नज़दीकी शहर वाले काॅलेज में दाखिला ले लिया। उसकी इच्छा थी कि वह पढ़ लिखकर वैज्ञानिक बने।

एक दिन कक्षा में उल्कापिंडों के बारे में पढ़ाया जा रहा था। अध्यापक ने बताया कि यदि उल्कापिंड पृथ्वी पर आकर गिर जाए तो भारी तबाही मच सकती है। जीवन और वनस्पतियाँ समाप्त हो सकती हैं। यह सुन कर खिल्लू चिंतित हो गया। उसने अध्यापक से पूछा, सर, यदि कभी ऐसा हो गया तो निश्चय ही हम सब मारे जायेंगे।

तुम चिन्ता नहीं करो। वैज्ञानिक बचाव के उपाय ढूँढ रहे हैं। संभव है वे कोई न कोई हल ढूँढ ही लें। अध्यापक ने आश्वस्त करते हुए कहा।

lotpot Hindi Jungle Story

प्रेरणादायक बाल कहानी : सेवा का व्रत

कुछ दिनों बाद काॅलेज की छुट्टियाँ हो गई। खिल्लू जंगल लौट आया। उससे मिलने उसके मित्र आये। वे उसकी पढ़ाई एवं हालचाल पूछने आये थे। वे चाहते थे कि खिल्लू उन्हें विज्ञान के बारे में नई नई जानकारियाँ दे खिल्लू ने उन्हें बहुत सारी बातें बताई जो जंगल वाले स्कूल में नहीं पढ़ाई जाती थी। बातों ही बातों मेे उसने उल्कापिंड के बारे में बताया।

खिल्लू भैया, आखिर यह उल्कापिंड क्या बला है। तनिक समझा कर बताओ। उदकू बिलाव ने पूछा।

यह आग के गोले की तरह होता है जो आसमान में होता है और कभी भी धरती पर गिर कर तबाही मचा सकता है। उसने समझाया।

पता नहीं तुम क्या कह रहे हो। हमारे तो कुछ नहीं समझ आया। फुदकू बकरा बोला।

मुझे भी कुछ समझ नहीं आया। टिंकू टिटहरे ने दिमाग पर ज़ोर डालते हुए कहा।

और पढ़ें जंगल कहानी: वनराज की अदालत

हँसते हुए खिल्लू बोला, तुम क्या जानो उल्कापिंड, यह तो हम वैज्ञानिक लोग ही जानते हंै। तुम तो यह समझ लो कि आफत की तरह यह आसमान से कभी भी धरती पर गिर सकती है। इसकेे गिरने से हम में से कई मारे जायेंगे। पृथ्वी हिल जायेगी। खाने के लिए कुछ नहीं बचेगा।

आसमान धरती पर गिर पड़ेगा। तब तो बहुत बुरा होगा। ज़रूर आसमान को रोकने के लिए कोई उपाय करना चाहिए। टिंकू बोला। अरे, आसमान तो गिरेगा ही यह धरती भी हिलने लगेगी जैसे पेड़ हवा से हिलते हैं। इस धरती पर रहना भी कठिन हो जायेगा। मिंकू बन्दर ने माथे पर बल डालते हुए कहा।

यह तो कोई परेशानी वाली बात नहीं हुई। मैं तो धरती से एकदम चिपक कर रह लूँगा या यों कहो धरती में घुस कर रहने लग जाऊँगा पर जब खाने को ही नहीं रहेगा तो मारे भूख के क्या हाल हो जायेगा। पेटू किंचू केंचूए ने कहा।

सब को अपनी अपनी चिन्ता सता रही थी। कुछ जानवर चिन्तित तो थे, मगर इतने नहीं कि टिंकू टिटहरे, मिंकू बन्दर या किंचू केंचूए की तरह लम्बी लम्बी श्वांस ही लेने लगें। झपटू चीते ने खीसें निपोर कर पूछा, क्यों रे खिल्लू ऐसा होगा तब तू क्या करेगा? तू कैसे बचेगा।

चाचा, मैं तो वैज्ञानिकों के साथ रहूँगा। संभव है ऐसे समय हम लोग किसी राॅकेट में बैठ कर अंतरिक्ष में चले जाएँ। प्रफुल्लित होते हुए खिल्लू ने जवाब दिया।

झूपसेन हाथी ने झूमते हुए झपटू चीते के कंधे पर अपनी सूंड़ फैला कर कहा, क्यों व्यर्थ चिन्ता करते हो, मित्र, जैसा भी होगा देखा जाएगा। न जाने ऐसा कभी होगा भी या नहीं? हो सकता है हमारे जीते जी ऐसा हो ही नहीं। छोड़ो निरर्थक हो चिन्तित मत हो। आओ अपन तो घूमने चले और आज के भोजन की चिन्ता करें।

इसी तरह अन्य जानवर भी भाग्य भरोसे उठ उठ कर जाने लगे। वे सोच रहे थे कि एक न एक दिन तो सबको मरना है। यदि इस तरह हमें मरना है तो ऐसे ही मर जायेंगे। क्या फ़र्क पड़ता है।

lotpot Hindi Jungle Story

और पढ़ें : एक जंगल की मजेदार कहानी : भगवान का दूत

मगर टिंकू टिटहरा, मिंकू बन्दर तथा किंचू केंचुआ बहुत ज़्यादा चिन्तित थे। उनके दिमाग में से उल्कापिंड वाली बात निकाले नहीं निकल रही थी। हाँ इन तीनों के चिन्ता करने के विषय अलग अलग थे। टिंकू को आसमान तले दब कर मरने की चिन्ता सता रही थी। मिंकू इस बात से दुखी था कि यदि पृथ्वी हिल गई तो वह उस पर कैसे रह पायेगा। किंचू केंचुआ पृथ्वी के पेट में समा कर रहने के लिए तैयार था। किन्तु वह अत्यंत पेटू था। सोच रहा था कि यदि खाने को कुछ नहीं मिलेगा तो मैं कैसे जी पाऊँगा?

हालांकि कुछ दिनों बाद छुट्टियाँ समाप्त हो गईं और खिल्लू खरगोश वापस काॅलेज लौट गया। मगर उन तीनों ने अपने अपने हल ढूँढ लिए। इस कारण उनकी जीवन शैली ही बदल गई।

इसके बाद से टिंकू ही क्या समस्त टिटहरे आसमान की ओर पांव करके सोने लगे ताकि आसमान गिरने पर वे उसे संभाल सकें। बन्दरों ने पेड़ों पर रहना प्रारम्भ कर दिया। वे पेड़ों से पेड़ों पर सीधी छलांग लगाने लगे। ताकि पृथ्वी के हिलने का उन पर फर्क नहीं पड़े। हा, कभी कभी वे पृथ्वी पर यह देखने के लिए उतर आते हैं ताकि देख सकें कि वह हिलने तो नहीं लगी है।

किंचू केंचुए ने तो पृथ्वी के अन्दर ही रहना प्रारम्भ कर दिया। वह तो एक तरह से पृथ्वी का हिस्सा बनकर ही रह गया। कहीं खाद्य पदार्थ समाप्त हो गये तो क्या होगा।

इस चिन्ता से मुक्त होने के लिए उसने उस दिन से मिट्टी खानी प्रारम्भ कर दी। मगर अन्य जानवर आज भी पहले की तरह निश्चिंत हुए घूम रहे हैं।

Facebook Page

 

 

#Jungle Story #Jungle Ki kahani #Best Jungle Stories #Best Jungle Story #Kids Jungle Hindi Story