/lotpot/media/media_files/2024/11/23/arundhati-roy-biography-of-the-famous-writer-and-social-worker1.jpg)
अरुंधति रॉय (Arundhati Roy) एक प्रसिद्ध भारतीय लेखिका, निबंधकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने साहित्य और सामाजिक मुद्दों पर अपने महत्वपूर्ण योगदान से अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाई है।
प्रारंभिक जीवन और परिवार:
अरुंधति रॉय का जन्म 24 नवंबर 1961 को मेघालय के शिलॉन्ग में हुआ था। उनके पिता, राजीब रॉय, एक बंगाली हिंदू थे, और माता, मैरी रॉय, केरल की सीरियाई ईसाई थीं। जब अरुंधति मात्र दो वर्ष की थीं, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया, और वे अपनी मां के साथ केरल में पली-बढ़ीं। उनकी मां, मैरी रॉय, एक प्रसिद्ध महिला अधिकार कार्यकर्ता थीं, जिन्होंने केरल में महिलाओं के संपत्ति अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
शिक्षा और प्रारंभिक करियर:
अरुंधति ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा केरल में प्राप्त की। बाद में, वे दिल्ली चली गईं और दिल्ली स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से वास्तुकला में स्नातक की डिग्री हासिल की। वास्तुकला की पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाकात फिल्म निर्माता प्रदीप कृष्ण से हुई, जिनसे उन्होंने विवाह किया। हालांकि, यह विवाह लंबे समय तक नहीं चला।
साहित्यिक करियर:
1997 में, अरुंधति रॉय का पहला उपन्यास "द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स" प्रकाशित हुआ, जिसने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई। यह उपन्यास केरल के एक सीरियाई ईसाई परिवार की कहानी है, जिसमें सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को गहराई से छुआ गया है। इस उपन्यास के लिए उन्हें 1997 में बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिससे वे यह पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
सामाजिक सक्रियता:
साहित्य के अलावा, अरुंधति रॉय सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी सक्रिय रही हैं। उन्होंने नर्मदा बचाओ आंदोलन में भाग लिया और बड़े बांधों के निर्माण के खिलाफ आवाज उठाई। इसके अलावा, उन्होंने भारत के परमाणु परीक्षणों, वैश्वीकरण, और मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ भी अपने विचार प्रकट किए हैं।
अन्य कार्य:
अरुंधति ने फिल्मों में भी योगदान दिया है। उन्होंने "इन विच एनी गिव्स इट दोज़ वन्स" और "इलेक्ट्रिक मून" जैसी फिल्मों के लिए पटकथा लिखी। इसके अलावा, उन्होंने "मैसी साहब" फिल्म में एक आदिवासी लड़की की भूमिका निभाई।
प्रमुख रचनाएँ:
उपन्यास: "द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स" (1997), "द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस" (2017)
निबंध संग्रह: "द एंड ऑफ इमेजिनेशन" (1998), "पावर पॉलिटिक्स" (2001), "वॉर टॉक" (2003), "पब्लिक पावर इन द एज ऑफ एम्पायर" (2004), "फील्ड नोट्स ऑन डेमोक्रेसी" (2009), "कैपिटलिज्म: ए घोस्ट स्टोरी" (2014)
पुरस्कार और सम्मान:
1997: बुकर पुरस्कार ("द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स" के लिए)
2002: लान्नान सांस्कृतिक स्वतंत्रता पुरस्कार
2004: सिडनी शांति पुरस्कार
2017: नॉर्मन मेलर पुरस्कार
निजी जीवन:
अरुंधति रॉय का विवाह फिल्म निर्माता प्रदीप कृष्ण से हुआ था, लेकिन बाद में वे अलग हो गए। वर्तमान में, वे दिल्ली में रहती हैं और लेखन तथा सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
अरुंधति रॉय का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
अरुंधति रॉय का जन्म 24 नवंबर 1961 को शिलॉन्ग, मेघालय में हुआ था।
अरुंधति रॉय को कौन-सा प्रमुख साहित्यिक पुरस्कार मिला है?
उन्हें 1997 में उनके उपन्यास "द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स" के लिए बुकर पुरस्कार मिला।
अरुंधति रॉय किन सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय रही हैं?
वे नर्मदा बचाओ आंदोलन, भारत के परमाणु परीक्षणों, वैश्वीकरण, और मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ सक्रिय रही हैं।
अरुंधति रॉय की प्रमुख रचनाएँ कौन-सी हैं?
उनके प्रमुख उपन्यास "द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स" और "द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस" हैं। इसके अलावा, उन्होंने कई निबंध संग्रह भी लिखे हैं।
क्या अरुंधति रॉय ने फिल्मों में भी काम किया है?
हाँ, उन्होंने "इन विच एनी गिव्स इट दोज़ वन्स" और "इलेक्ट्रिक मून" फिल्मों के लिए पटकथा लिखी है, और "मैसी साहब" फिल्म में अभिनय भी किया है।
अरुंधति रॉय की जीवन यात्रा साहित्य और सामाजिक सक्रियता का एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो हमें समाज के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनने की प्रेरणा देती है।