लोटपोट हीरे : देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो उससे एक सीधासादा आदमी प्लेटफार्म पर उतरा। उसका दुबला-पतला शरीर, सांवला रंग और चेहरे पर बड़ी-बड़ी घनी मूंछें थीं। उसने जो खादी की थोती और सफेद कुर्ता, टोपी पहन रखी थी उसमें वह पूरा देहाती लग रहा था। By Lotpot 04 Dec 2024 in Lotpot Personality New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो उससे एक सीधासादा आदमी प्लेटफार्म पर उतरा। उसका दुबला-पतला शरीर, सांवला रंग और चेहरे पर बड़ी-बड़ी घनी मूंछें थीं। उसने जो खादी की थोती और सफेद कुर्ता, टोपी पहन रखी थी उसमें वह पूरा देहाती लग रहा था। रात के अंधेरे में प्लेटफार्म पर किसी और को ना देखकर उस आदमी ने अपने बिस्तर की गठरी अपनी बगल में दबाई और स्टेशन मास्टर के कार्यालय में जा पहुंचा। उसने वहां बैठे स्टेशन मास्टर से अनुरोध के स्वर में कहा, "मुझे एक बहुत जरूरी फोन करना है।" स्टेशन मास्टर ने अपनी नजरें उठाईं और उसे घूरकर देखा। उसे उस देहाती का अपने कार्यालय में आना बिल्कुल पसंद नहीं आया। उसने बड़े रौब से उसे डांटते हुए कहा, "क्यों फोन करना है और कौन हो तुम?" उस देहाती से दिखने वाले व्यक्ति ने अपना परिचय देते हुए कहा, "राजेन्द्र प्रसाद ।..." अभी वह आगे कोई शब्द बोल पाता उससे पहले ही स्टेशन मास्टर ने उसे डांट दिया और बोला, "राजेन्द्र प्रसाद जी का नाम लेकर मुझ पर रौब गांठने की आवश्यकता नहीं है। तुम्हें फोन नहीं करने देता। निकल जाओ यहां से।" इस तरह स्टेशन मास्टर ने उसे फोन नहीं करने दिया। वह आदमी भी संकोच करता हुआ स्टेशन मास्टर को यह बताए बिना बाहर आ गया कि जिस राजेन्द्र प्रसाद का नाम वह सम्मान से ले रहा है वह तो उसके सामने ही खड़ा था। यह संकोची व्यक्ति वही राजेन्द्र प्रसाद थे जो आगे चलकर हमारे देश के प्रथम राष्ट्रपति बने और 'देशरत्न' कहलाए। विद्यार्थी जीवन में ही कई कीर्तिमान स्थापित करने वाले संकोची और सरल व्यक्तित्व वाले राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 ई. में बिहार राज्य के छपरा जिले के जीरादेई नामक छोटे से गांव में हुआ था। लेकिन अपनी चहुंमुखी प्रतिभा के धनी राजेन्द्र प्रसाद ने कामयाबी की बुलन्दियों को छूते हुए 26 जनवरी, 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति पद की शपथ ली और लगातार 12 वर्षों तक उसी पद पर रहकर देश की सेवा की। और पढ़ें : Amit Shah: भारतीय राजनीति के कुशल नेता Pandurang Shastri Athawale: एक प्रेरणादायक दार्शनिक और समाज सुधारक Anil Kumble: भारत के 'जंबो' का सफर और क्रिकेट में उनका योगदान Milkha Singh: साहस, संघर्ष और सफलता का संगम You May Also like Read the Next Article